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इस्लामिक विश्वविद्यालयकी संकल्पनासे निर्माण कार्य होनेतक हुआ प्रत्येक कृत्य अवैध, फंसानेवाला

मार्गशीर्ष शुक्ल ११, कलियुग वर्ष ५११५

तिरुपतिमें इस्लामिक विश्वविद्यालय स्थापित करनेके संदर्भमें जांच करने हेतु नियुक्त सत्यसंशोधन समितिका ब्यौरा प्रस्तुत

तिरुपति (आंध्रप्रदेश) – तिरुमला-तिरुपति देवस्थान करोडों हिंदुओंके आराध्य देवता हैं । यहां प्रतिवर्ष न्यूनतम २ करोड श्रद्धालु आते हैं । इस देवस्थानकी पवित्रताको संजोए रखना एवं देवस्थान तथा श्रद्धालुओंको सुरक्षा प्रदान करना सरकारका आद्य कर्तव्य है । इसलिए आंध्रप्रदेश सरकारद्वारा विविध कानून कार्यान्वित किए गए हैं, जिसके अनुसार तिरुपति देवस्थानके परिसरमें अन्यधर्मियोंद्वारा प्रार्थना अथवा धर्मप्रसार करना अपराध सिद्ध किया गया है । अतः हाल ही में देवस्थानके परिसरमें कुछ घटनाओंके कारण तिरुपति देवस्थानकी पवित्रता एवं सुरक्षा संकटमें आनेकी संभावना व्यक्त की जा रही है ।

आंध्रप्रदेशके तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्राबाबू नायडूपर नक्सलवादियोंद्वारा हुए आक्रमण, ईसाई मिशनरियोंद्वारा देवस्थानके परिसरमें ही चलनेवाले धर्मपरिवर्तनके प्रयास, देवस्थानका ७ पहाडियोंमें व्याप्त मूल परिसर, जिसे केवल २ पहाडियोंतक सीमित करनेका सरकारका षडयंत्र जनताके दबावके सामने गुंडेलने सरकारका विवश होना, तिरुपतिसे केवल ३८ किलोमीटर दूरीपर स्थित पुत्तुरके आतंकवादियोंको बंदी बनाना (इन आंतकवादियोंद्वारा छातोंमें विस्फोटक छिपाकर उनको तिरुपति देवस्थान ले जानेका षडयंत्र था) इत्यादि घटनाओंके कारण तिरुमला-तिरुपति सुरक्षा समितिद्वारा इस्लामिक विश्वविद्यालय स्थापित करनेकी जांचके लिए सत्यसंशोधन समिति नियुक्त करनेका निर्णय लिया गया ।

सत्यसंशोधन समितिके अध्यक्षपदपर आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालयके भूतपूर्व न्यायमूर्र्ति एस. पानवथा राव, संयोजकपदपर आंध्रप्रदेशके भूतपूर्व पुलिस महासंचालक श्री. टी.एस. राव तथा सदस्यपदपर डॉ. सी. उमामहेश्वरका (भारतीय प्रशासकीय सेवाके निवृत्त अधिकारी) चयन किया गया । इस समितिद्वारा घटनास्थलका भ्रमणकर अनेक संबंधित व्यक्तियोंका साक्षात्कार लिया गया तथा विश्वविद्यालयसे संबंधित कागदपत्रोंकी जांच की गई ।

समितिद्वारा पूरी जांच करनेपर निकाले गए निष्कर्ष आगे दिए अनुसार हैं ।

१. इस्लामिक विश्वविद्यालयके व्यवस्थापनने केवल तल अधिक एक मालेका निर्माण कार्य करनेकी अनुमति मांगी थी एवं तिरुपति नगर विकास आयोगद्वारा (टुडा) वह दी गई ।
२. जिस गांवकी सीमामें उपर्युक्त  अट्टालिकाका निर्माण कार्य किया गया, वहांके ग्रामपंचायतद्वारा अनुमति नहीं दी गई थी ।
३. इस अट्टालिकाके लिए संबंधित तहसीलदारने एक विशेष रचनाकी ही बिना खेतीके उपयोगकीr (एन.ए.) अनुमति दी ।.
४. प्रत्यक्ष अट्टालिकाका निर्माण कार्य उपर्युक्त भूमिसे अधिक भूमिपर हुआ दिखाई दिया ।
५. वर्ष २०१२ के अगस्त माहमें टुडा एवं ग्रामपंचायतद्वारा विश्वविद्यालयके व्यवस्थापनको पत्रद्वारा ‘निर्माण कार्य स्वीकृत ढांचेके अनुसार न होनेके कारण त्वरित बंद किया जाए’, ऐसे आदेश दिए गए; परंतु इस आदेशका उल्लंघन किया गया ।
६. ऐसा संदर्भ मिलता है कि तिरुपति देवस्थान  एक अत्यंत प्राचीन मंदिर है जिसे अगस्ति ऋषिने स्थापित किया है । ऐसे पवित्र स्थानपर इस्लामिक विश्वविद्यालय स्थापित करनेका अर्थ है हिंदुओंकी धार्मिक भावना आहत करना ।
७. इस निर्माण कार्यकी अनुमति लेते समय ऐसा बताकर भ्रमित किया गया था कि ये लडकियोंके लिए अरेबिक शिक्षा देनेका विद्यालय है । सात मालोंका निर्माण कार्य समाप्त होते आया, तो इस अट्टालिकापर ‘हीरा अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक विश्
वविद्यालय’ ऐसा फलक लगाया गया । यह सब अनाकलनीय है ।
८. अट्टालिकाके आसपासकी भूमि भीr विश्वविद्यालयके व्यवस्थापनने क्रय कर ली है एवं ऐसी आशंका है कि उसपर मस्जिद समान भवनोंका निर्माण कार्य किया जाएगा ।
९. अट्टालिकाके चारों ओर १२ फीट ऊंची सुरक्षा दीवारका निर्माण कार्य किया गया है, जबकि नियमके अनुसार केवल २.५ मीटर उंचाई तकका निर्माण कार्य करनेकी अनुमति है ।
१०.इस निर्माणकार्यके समीपसे स्वर्णमुखी नामक नदी एवं उसे मिलनेवाले नाले बहत हैं । अट्टालिकाके निर्माण कार्यके कारण  इस नदीके अस्तित्वको भी धोखा उत्पन्न हुआ है । नदीपर बांधका निर्माण कार्य करनेकी योजनाको केंद्रसरकारद्वारा सम्मति दी गई है; जो अब वह संभव नहीं होगा ।

समितिद्वारा की गई संस्तुति (सिफारिशें)

१. इस अट्टालिकाके कारण तिरुपति देवस्थानको उत्पन्न  धोखेका निरीक्षण सुरक्षा संस्थाओंद्वारा करें ।
२. अट्टालिकाके लिए आवश्यक अर्थसहायता कहांसे आयी, इसकी जांच करें ।
३. विश्वविद्यालयके व्यवस्थापनका आय-व्यय हिसाब आयकर विभागद्वारा जांच किए जाए ।
४. अट्टालिकाका अवैध निर्माणकार्य तोडा जाए ।
५. यह अट्टालिका तिरुपति देवस्थान अथवा पद्मावती महिला विश्
वविद्यालयद्वारा नियंत्रणमें लेकर उसका उचित उपयोग करें ।
६. स्वर्णमुखी नदीके किनारेके खंबे त्वरित गिरा दिए जाएं ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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