हिंदुओे, देशभक्तिका सागर उत्पन्न करें ! – पू. संभाजीराव भिडेगुरुजी

मार्गशीर्ष शुक्ल ११, कलियुग वर्ष ५११५


२३ नवंबरको संध्या समय ६ बजे उत्तुंग परिवारद्वारा विलेपार्ले, मुंबईमें ‘बल है अभियानका’ विषयपर श्री शिवप्रतिष्ठानके संस्थापक पू. संभाजीराव भिडेगुरुजीका कार्यक्रम संपन्न हुआ । कार्यक्रममें शिवसेना पक्षप्रमुख श्री. उद्धव ठाकरे प्रमुख अतिथिके रूपमें उपस्थित थे । इस अवसरपर पू. संभाजीराव भिडेगुरुजीद्वारा किया गया मार्गदर्शन आगे दे रहे हैं ।

पूर्वके संत एवं शिवाजीराजाके सिपाही भगवानके रूप थे !

श्रीमद् भगवद्गीतामें धर्मयुद्धके समय प्रत्यक्ष रणक्षेत्रपर जिस समय अर्जुन युद्ध करनेको सिद्ध नहीं होते थे, उस समय भगवान श्रीकृष्ण उनसे कहते थे एवं उन्हें बताते थे कि आप निमित्तमात्र हो । आप ध्यानमें रखें कि यह सब मैं करनेवाला हूं ! उठो एवं युद्ध करो ।  उसीप्रकार स्वामी रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, राजा शिवछत्रपति शिवाजी महाराज, संभाजी महाराजके साथ युद्ध करनेवाले सैनिक बाजीप्रभु देशपांडे, तानाजी मालुसरे, हिरोजी नाईक, जीवा महाले ये सभी भगवानके ही रूप थे ।

राष्ट्रसंतोंके जीवनका स्पर्श हुआ, तो ही हिंदुओंका जीवन सार्थक होगा !

आज हिंदू समाजकी स्थिति अत्यधिक विदारक है । हिंदू समाज देहसे चाहे भले ही पुरुष हो, किंतु राष्ट्रीयताके संदर्भमें नपुंसक ही है । कन्याकुमारीसे कश्मीरतक फैले हिंदुओंके मानवीय सागरमें धर्मनिष्ठा एवं राष्ट्रीय निष्ठाका अत्यधिक अभाव है । जैसे समुद्रतटपर स्थित रेतके कण एकदूसरेसे बिल्कुल नहीं चिपकते, आज हिंदू समाजकी वैसी ही स्थिति है । यदि प्रत्येक हिंदूको राष्ट्रसंतोंके जीवनका स्पर्श हुआ, तो ही उसका जीवन सार्थक होगा ।

हिंदुस्थानके भविष्यसे किया गया व्यभिचार (सर्वधर्मसमभाव) कभी नहीं चलने देंगे !

शिवाजी महाराजके समयमें हिंदवी स्वराज्य मिलनेसे पूर्व समाजकी जैसी स्थिति थी, वैसी स्थिति आज भी है । निरपेक्षतावादी, बुद्धिप्रामाण्यवादी एवं प्रगतिशील विचारोंके लोग अपने देशमें सर्वधर्मसमभावके विचार फैलाकर समाजकी भयंकर हानि कर रहे हैं । इन्हीं लोगोंने धर्मके नामपर इस देशके तीन टुकडे किए ! आज भी  मुसलमान अथवा ईसाई व्यक्ति सर्वधर्मसमभावपर भाष्य नहीं करते; परंतु हिंदू ही सर्वधर्मसमभावपर  बोलते हैं । सर्वधर्मसमभावका अर्थ है हिंदुस्थानके भविष्यसे किया गया व्यभिचार, जिसे हम कभी नहीं सहन करेंगे । इस समाजके गलेमें राजा शिवाजी एवं राजा संभाजी नामकी संजीवनी  डाले बिना यह व्याधि नहीं जाएगी । जबतक यह देश देशभक्तिका सागर नहीं बनता, तबतक राष्ट्रके रूपमें टिकना असंभव है ।

भारतमें मुसलमानोंकी वाहवाह करनेवाले प्रधानमंत्रीकी परंपरा !

जबतक हिंदुस्थानको देशभक्ति, स्वातंत्र्यभक्ति तथा त्याग निष्ठाकी प्रसूतिवेदना नहीं प्रतीत होगी, तबतक हम स्वातंत्र्यविश्वके त्रिखंडमें नहीं टिकेंगे । वर्तमान समयका सुशिक्षित समाज क्षुद्र विचारोंसे ग्रस्त हो गया है । अपने देशके प्रधानमंत्री भी ऐसे ही हैं । कश्मीर समस्या, भाषाकी प्रांतरचना, निरपेक्षताका पागलपन यह प्रथम प्रधानमंत्री नेहरूकी कृपा है । तदुपरांत गुलजारीलाल नंदा केवल २ से ६ माहके लिए आए थे । इतनी अल्प कालावधिमें भी उन्होंने दंगेके समय मुसलमानोंका समर्थन किया ।

३० नवंबर १९७२ को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधीके देवबंद गांवमें (कानपुरके पास) मुसलमान समाजकी परिषद आयोजित की गई । इस परिषदमें उन्होंने मुझे 'अभिमान है कि मैं जिस भारत देशमें हूं, वह मुसलमान समाजसे युक्त बडा राष्ट्र है’, ऐसा वक्तव्य दिया था । तदुपरांत चिंरजीव राजीव गांधीने तुर्कस्तानमें उनके  लोकसभामें जाकर कहा था कि हिंदुस्थान एवं तुर्कस्तानका ऋणानुबंध बहुत प्राचीन कालसे है । मुझे इस बातका अभिमान है कि मैमुद्दीन कासिम नामक आपके देशका नागरिक ७११ में हमारे देशमें विश्वशांतिका संदेश लेकर आया था ।

वर्तमान समयके प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंहने क्या कहा ? हिंदुस्थानकी किसी भी संपत्तिपर मुसलमानोंका प्रथम अधिकार है । ऐसा कहनेपर लोकसभाके एक भी सांसदने उठकर ऐसा नहीं कहा कि आपकी पत्नीके संदर्भमें आपका क्या मत है ?, आपके बच्चोंके संदर्भमें आपका क्या मत है ?, आपकी बहूके संदर्भमें आपका मत क्या है ?

यदि देशके नेतृत्वकी योग्यता ऐसी है, तो देशका क्या होगा ? यदि इस अनोखे  विलक्षण संकटसे देशको बाहर निकालकर हिंदू राष्ट्र स्थापित करना है, तो हमें संभाजी एवं शिवाजीराजाका धर्मतेज धारण करना अनिवार्य है । आज जो समाज स्वयंको सुशिक्षित समझता है, उसका आचारण शून्य है ।

हिंदुओे, अपने शत्रुको पहचानें !

वर्तमान समयमें हिंदू समाज सामाजिक एवं राष्ट्रीय स्तरपर अत्यंत प्रतिकूल है । इन सब बातोंमें सबसे बडा दोष यदि कोई है तो वह यह कि हमें यही नहीं समझमें आता कि हमारा शत्रु कौन है । आज एक भी राजनीतिक नेतासे  गांवके सरपंचतक किसीको भी यह ज्ञात नहीं है कि अपना शत्रु कौन है । अपने पडोसके चीन एवं पाकिस्तान सबसे बडे शत्रु हैं ।

हिंदुत्वको संजोनेवाली एकमात्र शिवसेना !

भारतमें ऐसा केवल एक ही पक्ष है, जो शिवाजी महाराजका भगवा ध्वज कंधेपर लेकर खडा है, और वह पक्ष है शिवसेना ! गांधीजीके विचारोंमें बुद्धिवादी, निरपेक्षतावादी, विज्ञाननिष्ठ, प्रगतिशील, समतावादी प्रवाहमें बहकर जानेवाले महाराष्ट्रमें माननीय बालासाहेब ठाकरेने विधानसभामें भगवा ध्वज फहराया ।   
अपने देशमें लडके जन्म लेते हैं, शिक्षा प्राप्त करते हैं, ज्ञानी होते हैं एवं दूसरे देशको समृद्ध करते हैं । वर्तमान समयमें सावरकरकी मानसिकताके बच्चे नहीं पाए जाते ।
जो अपनी आंखें देखती हैं, सभी नष्ट होनेवाला है । केवल प्रकाशमें ही वह दिखाई देता है । उन्हीं आंखोंको बंद कर केवल संतोंके आशीर्वादसे ही हमें आत्मा तथा परमात्माका दर्शन होना संभव है ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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