आषाढ कृ. ९, कलियुग वर्ष ५११४
अधिवेशनके दूसरे दिनके चर्चासत्रोंका निष्कर्ष
रामनाथी (गोवा) – अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशनकेअगले दिनके अंतिम सत्रमें ‘गोरक्षा’ विषयपर गुटचर्चाका आयोजन किया गया था । सांप्रतकालमें यह गंभीर समस्या हिंदुओंके संगठनोंके सामने आवाहन बनी हुई हैं ।
ऐसा निष्कर्ष निकाला गया है कि इस समस्यापर मात करना परिणामकारक हिंदूसंगठनद्वारा ही संभव होगा । इस गुटचर्चामें ‘गोरक्षा’ विषयपर हिंदू धर्मनिष्ठोंद्वारा सुझाए गए उपाय एवं सूचनाएं निम्नानुसार हैं –
गोरक्षा हेतु ग्रामस्तरपर गोरक्षकोंका पथक स्थापित करनेकी आवश्यकता !
१. गोरक्षाके लिए हिंदू धर्माभिमानियोंके संपर्कतंत्रको सक्षम बनाना ।
२. गोवंशके आवागमनके मार्गकी जानकारी लेकर उसपर ध्यान रखना एवं गोवंशका आवागमन करनेवाले वाहनोंको अडाकर गोवंशको मुक्त करना ।
३. गोवंशका कत्ल करनेवालोंपर पुलिस कार्यवाही होनेपर उन्हें जमानत दिलवानेके लिए किसी भी हिंदुद्वारा सहायता न दी जाना ।
४. यह कार्य करते समय गोरक्षकोंपर भी पुलिसद्वारा कार्यवाही हो सकती है । ऐसेमें उन्हें छुडवानेके लिए हिंदु अधिवक्ताओंको भी शीघ्रतासे आगे बढना चाहिए । इसके लिए हिंदु अधिवक्ताओंका संगठन सिद्ध होना चाहिए ।
५. ग्रामस्तरपर ‘कृषकोंका बाजार’ नामक गोवंशकी बिक्रीके लिए हाट (बाजार) लगाया जाता है; परंतु इसपर प्रत्यक्षमें कसाईयोंका नियंत्रण होता है । इस कारण इस हाटपर ध्यान रखना चाहिए । वृद्ध गायों एवं गोवंशकी खरीदी-बिक्री करनेका कानूनन अधिकार नहीं है ।
६. गोवंशकी रक्षाके लिए कार्य करनेवालोंपर मुसलमानोंद्वारा आक्रमण होते हैं । उनका सामना करनेके लिए लडाकू हिंदु नवयुवकोंका पथक स्थापित करना चाहिए ।
७. कसाई गायका रक्त निकालकर उसे परदेशमें बेचते हैं । वे उसके अवयवोंको काटकर, उन्हें चीनको बेच दिया जाता है । ये कसाई किसानोंसे १ सहस्र रुपयोंमें गाय खरीदते हैं तथा उपरोक्त ढंगसे उसकी तहस-नहस कर, उस एक सहस्रके करोडों रुपए बनाते हैं । मुसलमान गायकी प्रत्येक हड्डीको इस्लामकी संपत्ति समझते हैं । इस विषयमें हिंदुओंमें प्रबोधन करना चाहिए ।