मार्गशीर्ष शुक्ल ११ , कलियुग वर्ष ५११५
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नई दिल्ली : समलैंगिकता को भारत में अपराध करार देने वाले सुप्रीम कोर्ट के बयान पर कांग्रेस सुप्रीमो और यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने निराशा जाहिर की है।
सोनिया ने कहा है कि न्यायपालिका का यह निर्णय निराशाजनक है और उम्मीद है कि संसद इस मामले में दखल देगी।
सोनिया गांधी के इस बयान ने सोशल मीडिया पर समलैंगिकता और इसे अपराध करार दिए जाने की चर्चा और संवाद की आग में घी का काम किया है।
समलैंगिकता पर सोनिया के इस बयान का सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोग जहां स्वागत कर रहे हैं वहीं एक तबके ने उन पर छींटाकशी भी शुरू कर दी है।
सोनिया गांधी की ओर से जारी इस बयान में कहा गया है कि उम्मीद की जानी चाहिए कि संसद लोगों के जीवन और लोगों की आजादी की संवैधानिक गारंटी और उनके हितों का ध्यान रखेगी।
समलैंगिकता के समर्थन में ये नेता भी
सोनिया कोई अकेली नेता नहीं है जिन्होंने इस मसले पर बयान दिया है उनसे पहले भी कई पार्टियों के सांसदों ने भी इस फैसले पर निराशा जाहिर कर चुके हैं। मानव संसाधन मंत्री शशि थरूर ने भी कह चुके हैं कि अभी संसद के सत्र में जितना कम समय है उसे देखते हुए अभी इसपर कोई फैसला हो पाना संभव नहीं लगता। उधर, केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल भी समलैंगिक संबंधों के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद कर चुके हैं। वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी समलैंगिकों के समर्थन में उतरे हैं। उनका कहना है कि समलैंगिता सदियों से चली आ रही है और यह एक असलियत है।
कोर्ट ने करार दिया अपराध
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ही धारा-३७७ को हटाने से इनकार करते हुए समलैंगिकता को अपराध करार दिया था। हालांकि इसके बाद से "एलजीबीटी" समुदाय फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतरते हुए प्रदर्शन पर उत्तर आया है। बता दें कि नाज फाउंडेशन की ओर से तो इस मामले में कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की तैयारी भी कर ली गई है।
स्त्रोत : राजस्थान पत्रिका