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विधायक बच्चू कडूद्वारा विधानसभामें हिंदुओंकी धार्मिक विधियोंकी अश्लाघ्य आलोचना !

मार्गशीर्ष शुक्ल १२ , कलियुग वर्ष ५११५

नागपुर – विचारोंपर आस्था होनी चाहिए । चमत्कारीके रूपमें पहचाने जानेवाले सत्यसाईबाबाके समक्ष प्रधानमंत्री तथा भूतपूर्व मुख्यमंत्री नतमस्तक होते हैं, इससे क्या संदेश निकलता है ? अमरावती जनपदके अचलपुरके निष्पक्ष विधायक बच्चू कडूने ११ दिसंबरको विधानसभामें हिंदुओंकी धार्मिक विधियोंकी अश्लाघ्य आलोचना करते हुए कहा कि सत्यनारायणकी निरर्थक कथा बंद होनी चाहिए । (क्या हिंदुओंकी धार्मिक विधियोंकी अश्लाघ्य  आलोचना करनेवाले विधायक बच्चू कडूको वैधानिक मार्गसे हिंदू फटकारेंगे ? हिंदुओ, अब तो संगठित होकर धर्मपर होनेवाले आघात रोकने हेतु सिद्ध हों ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

इस कानूनमें मंदिर-मस्जिदपर होनेवाली बांग बंद करनेका प्रबंध करें ! – कडू

विधानसभामें जादूटोनाविरोधी विधेयक प्रस्तुत करनेपर उसका समर्थन करते समय विधायक कडू ऐसा वार्तालाप कर रहे थे । उन्होंने आगे कहा कि धार्मिक कहकर इसे कानूनमें लानेमें लज्जा आनी चाहिए ।

यदि मंदिर-मस्जिदसे व्याधि अच्छी होती है, तो रुग्णालय बंद करें  अथवा मंदिर-मस्जिदपर बजनेवाली बांग बंद करनेका प्रबंध करें । मंदिर-मस्जिदपर व्यय होनेवाला पैसा विद्यालयोंके लिए क्यों नहीं प्रयुक्त किया जाता ? सांपको दूध पिलाना, पोला होनेपर बकरा काटना इन अंधश्रद्धाओंको भी इस कानूनमें सम्मिलित कर उसे और कठोर बनाना चाहिए । लोग मक्का जाते हैं, बालाजी जाते हैं, शिर्डी जाते हैं; परंतु रायगढ, डॉ. आंबेडकरके गांव अथवा भगतसिंहके गांवको जानेवाली  युवा पीढी नहीं दिखाई देती । (इसके लिए सर्वस्वी राजनेता ही उत्तरदायी हैं । राजनेताओंने जनतामें राष्ट्र एवं धर्मप्रेम नहीं बोया । इसीलिए उसे राष्ट्रपुरुष एवं क्रांतिकारियोंके विषयमें कोई सम्मान नहीं रहा ! इसके लिए क्या विधायक कडू सर्वपक्षीय राजनेताओंको फटकारेंगे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) नारियल फोडने तथा पूजा करनेसे भगवान मिले होते, तो मैंने ट्रक भर नारियल फोडे होते । (भाव ही देव ! यदि भाव न होगा, तो ट्रकभर नारियल फोडकर भी कोई उपयोग नहीं होगा ! भगवानकी अनुभूति लेने हेतु उचिरूपसे साधना करनी चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) इसलिए भगवानको दीनदुखियोंमें देखना चाहिए । प्रत्येक धर्ममें सुधार होना चाहिए । मंदिर एवं मस्जिदोंमें राष्ट्रीय दिन संपन्न होने चाहिए ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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