चैत्र कृष्ण पक्ष नवमी, कलियुग वर्ष ५११६
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उलटा चोर कोतवाल को डांटे !
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पाकिस्तान पर भरोसा करें, एेसा आज तक एक भी कृत्य पाक ने नहीं किया है, उलटा हर बार भरोसा तोडा ही है !
![](https://media2.intoday.in/aajtak/images/stories/032015/haq-shiv_650_031315070755.jpg)
इंडिया टुडे कॉनक्लेव में शुक्रवार को पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त रहे शिवशंकर मेनन और अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त हुसैन हक्कानी का आमना-सामना हुआ। दोनोंने भारत-पाक के बनते-बिगड़ते रिश्तों पर बात की।
हक्कानी ने कहा कि भारत सरकार पाकिस्तान के लोगोंको यह भरोसा दिलाने में असफल ही है कि वह एक पड़ोसी के तौर पर पाकिस्तान से अच्छे ताल्लुक चाहता है। हालांकि हक्कानी ने यह स्वीकार किया कि २६/११ के मास्टरमाइंड जकीउर रहमान लखवी को रिहा करने का पाकिस्तानी अदालत का फैसला गलत है और पाकिस्तान को आतंक के खिलाफ अपनी लड़ाई और गंभीरता से लड़नी चाहिए।
आतंकी हमले
शिवशंकर मेनन ने कहा कि दोनों देशोंको अपने कड़वे संबंधों के लिए बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। हम छोटे-छोटे कदम एक साथ आगे बढ़ाते हैं, लेकिन करगिल अटैक और आतंकी हमलों से फिर बातचीत टूट जाती है। वाजपेयी सरकार हो, राजीव गांधी की सरकार, बातचीत का सिलसिला इसी तरह बनता-बिगड़ता रहता है। भारत-पाक रिश्तों में असफलता से हम खुश नहीं हैं।
वाजपेयी ने पूछा पाकिस्तान जाओगे
मेनन ने बताया कि करगिल जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनसे उच्चायुक्त के तौर पर पाकिस्तान जाने के लिए पूछा तो उन्हें बहुत हैरानी हुई कि प्रधानमंत्री ने उन्हें ही क्यों चुना। वाजपेयी बोले-तुम बहुत भोले हो और कहकर वो जोर से हंसने लगे।
अंदरूनी राजनीति
मेनन और हक्कानी दोनोंने माना कि भारत-पाक के संबंधोंपर दोनों देशोंकी अंदरूनी राजनीति भारी पड़ती है। हक्कानी ने कहा कि भारत-पाक के संबंधों में दोनोंका अतीत आड़े आता है। ६७ सालोंसे यही सिलसिला चल रहा है। पाकिस्तानियोंको लगता है कि भारत को अब भी बंटवारे का पछतावा है। यह सोच बदलनी होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि कई बार भारत की जिद और गुस्सा भी रिश्तों में आड़े आता है।
भारत की पहल
मेनन ने कहा कि भारत दोनों देशोंके बीच अच्छे संबंध बनाने के लिए सकारात्मक कदम उठाता रहता है। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि दिसंबर २००४ की छुट्टियों में हमने हजारों पाकिस्तानी बच्चोंके लिए वीजा जारी किए थे। मेनन ने यह भी कहा, ‘हमने पाकिस्तान की सभी सरकारोंसे बात की। पाकिस्तानियोंको तय करना है कि उनका देश कौन चलाता है। हमने वहां की सिविल सोसाइटी से बात की, नागरिकोंसे बात की, वहां की आर्मी से बात की। हमने अपनी तरफ से हरसंभव कोशिश की।’
स्त्रोत : आज तक