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क्या बोर्ड बताएगी ‘स्वास्थ्य’ बडा या ‘स्वार्थ’ ?
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सूर्यनमस्कार को धार्मिकता से जोडने वाली मुस्लिम लॉ बोर्ड कमिटी !
जयपुर (राजस्थान) – मुसलमानों की सर्वोच्च संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के दो दिनों के २४वें अधिवेशन में मुसलमान बच्चों से सूर्य नमस्कार न करने को कहा गया है। बोर्ड के पदाधिकारियों ने कहा कि अगर सरकार सूर्य नमस्कार करने को कहे तब भी ऐसा नहीं करना है। हालांकि, इस बारे में बोर्ड की ओर से औपचारिक एलान रविवार को किया जाएगा। बोर्ड के मेंबर जफरयाब जिलानी ने माना है कि मजहबी आजादी, स्कूलों में सूर्य नमस्कार, पर्सनल लॉ में संशोधन जैसे मुद्दे पर चर्चा हुई है।
शनिवार को यहां जामिया हिदायत में आयोजित ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के दो दिवसीय अधिवेशन के खुतबा सदारत (अध्यक्षीय भाषण) में बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय को अब मजहबी आजादी की हिफाजत की जरूरत महसूस होने लगी है। आजादी के बाद देश जिन हालात से गुजरा है, आज जिस जगह हम देख रहे हैं देश को खास विचारधारा की तरफ ले जाया जा रहा है। इस अधिवेशन में देशभर की मुस्लिम संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे। पहले दिन मजहबी आजादी, तालीमी हुकूक (शिक्षा का अधिकार) कानून पर लोगों ने अपने विचार रखे।
नदवी ने कहा कि हमारा यह अधिवेशन देश की विशेष परिस्थितियों में आयोजित हो रहा है। इसमें इन हालात पर चिंतन किया जाएगा और देश के मुसलमानों के लिए उचित मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जाएगा जो सभी के लिए अनुकरणीय हो। उन्होंने कहा कि देश के संविधान ने हमें अपने मजहबी सिद्धांतों के अनुसार आचरण करने की आजादी दी है, उसकी हिफाजत करने का काम बोर्ड ने अपने जिम्मे लिया है। बोर्ड की ओर से पिछली मीटिंग में पास हुए प्रस्तावों की रिपोर्ट पेश की गई।
शरीअत के मुताबिक जीवन गुजारें
उन्होंने कहा कि बोर्ड का यह भी काम है कि वह जहां मुसलमानों को शरीअत के अनुसार जीवन गुजारने पर राज़ी करे वहीं शरीअत की सही और तार्किक व्याख्या भी करें। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात के लिए हम खुद जिम्मेदार हैं। कुरान के निर्देश किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के कल्याण के लिए हैं।
शरीअत कानून नहीं बदल सकता
फ़ज्लुर्रहीममुजद्दिदी ने कहा कि इस समय मुस्लिम पर्सनल लॉ का मुद्दा उभर कर सामने आया है और जब कि समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कही जा रही है तो कुछ लोग पर्सनल लॉ मे संशोधन करने की बात करने लगे हैं। इस संबंध में हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि पर्सनल लॉ (निजी क़ानून) शरीअत का हिस्सा है आरै इसमें संशोधन का अधिकार किसी भी मनुष्य को नहीं है।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर
Behind the above report is the white man’s brain. Their aim is create strive and discord between India and China so that they can sell weapons and once again take over India. My research tells me that the Whites and Chinese will never go hand in hand. The reason for this is the ‘Ego of the West’, for they never will agree that someone is better than them. Whereas China will agree. Once upon a time Bhaarath and China were good friends before the onset of the whites into history. They used to travel to Bhaarath of attaining wisdom and Moksha. My Chinese friends told me that even their ‘Martial Arts’ sprang up from Bhaarath. Let me ask, why should Bhaarath try to make friends with a nation thousands of miles away and not the neighboring China? China is in fact the ‘Richest country’ in the world and USA ignores this fact cause of fear. If i was in Modi’s place, i would have traveled to China and, for surely they would shake hands with us. But instead, our government as always, shows a soft corner towards the West. No wonder once someone called Indians ‘a prostrate race’. It is beyond doubt that the day India and China unites, the ‘Fall of the West’ will be close at hand and this the West knows. So they will see to it that this never happens! A friend close at hand is much more reliable than a friend afar.
“Humanity’s best hope of immortality,” so comments one foreign dissertator ‘Flora Annie Steel’ on moksham, “lies in the apprehension of the inviolable laws of our universe of which India is aware. Hindus have the appearance of being drawn by one who was more deeply versed in the subject than may at first be imagined, and who knew much more than he thought it necessary to communicate.”
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