चैत्र कृष्णपक्ष दशमी / एकादशी, कलियुग वर्ष ५११६
इस से स्पष्ट होता है कि धर्मांधोंका हिन्दुनिष्ठ कार्यकर्ताओंपर कितना सूक्ष्मता से ध्यान रहता है। हिन्दुओंकी ऐसी अपेक्षा है कि ऐसे धर्मांधोंसे हिन्दुनिष्ठोंकी रक्षा होने हेतु भाजपा शासन को कठोर कदम उठाने चाहिए !
एक धर्मांधद्वारा स्थानीय व्यक्ति के माध्यम से राज्यस्तर का दायित्व संभालनेवाले हिन्दू जनजागृति समिति के एक कार्यकर्ता के संदर्भ में उसके निवासस्थान के परिसर में जाकर जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया गया। इस कार्यकर्ता ने पुलिस थाने में परिवाद प्रविष्ट किया है। (हिन्दुनिष्ठोंकी जांच करनेवाले धर्मांध भविष्य में हिन्दुओंपर आक्रमण भी कर सकते हैं। हिन्दुओंको बूरी नजर से देखने का साहस न हो, ऐसा प्रभावी हिन्दू संगठन होना अनिवार्य है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
१. यह धर्मांध कार्यकर्ता के निवास गली में आया। उसने दाढी बढा रखी थी तथा सिर पर गोल टोपी एवं सफेद पठानी पोशाक धारण किया था।
२. उसने एक स्थानीय व्यक्ति से पूछा कि इस कार्यकर्ता का छोटा एवं बडा भाई कहां रहता है ? जो धर्म का कार्य करता है, क्या वह यहीं पर रहता है ?
३. स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि वह यहीं पर रहता है। इस पर धर्मांध ने कहा कि उस की मां ने एक औषधि मांगी थी, उसे देने मैं आया हूं। (प्रत्यक्ष में उस कार्यकर्ता की मां घर पर नहीं थी। वह दो दिन पूर्व से ही गांव गई थी। उस का एवं धर्मांधोंका कोई संबंध नहीं था। इस से स्पष्ट होता है कि यह धर्मांध इस कार्यकर्ता के पूरे परिवार की जानकारी ले रहा था ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
४. तदुपरांत वह धर्मांध कार्यकर्ता के घर से १५ फूट दूरी पर स्थित एक मंदिर के बाहर खडा रहा एवं उसने स्थानीय व्यक्ति को कार्यकर्ता के घर भेजा। (षडयंत्री धर्मांध ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
५. उस समय कार्यकर्ता की भाभी ने दरवाजा खोला। उसने कहा कि घर में कोई पुरुष नहीं है। तत्पश्चात उस स्थानीय निवासी ने मुसलमान को इशारा कर बताया कि घर में कोई नहीं है। तदुपरांत वह धर्मांध निकलकर चला गया।
६. स्थानीय व्यक्ति ने भी कार्यकर्ता की भाभी को यह घटना सुनानेपर प्रथम उसे संदेह हुआ, तो उसने त्वरित दूरभाषपर कार्यकर्ता को इस विषय में सूचित किया।
७. समिति के कार्यकर्ता ने अज्ञात धर्मांध के विरुद्ध पुलिस थाने में परिवाद कर सुरक्षा की मांग की।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात