चैत्र कृष्ण पक्ष द्वादशी, कलियुग वर्ष ५११६
रोहतक (हरियाणा) : शहर के मॉडल स्कूल में गर्ल्स को स्कर्ट नहीं पहनने का फरमान जारी किया गया है। शर्मनाक बात यह है कि इसे लड़कोंको भटकाव से बचाने के लिए जरूरी बताया जा रहा है। प्रिंसिपल तरु गुप्ता का कहना है कि उन्हें मैनेजमेंट कमिटी के सेक्रटरी रामबाबू बंसल ने ऐसा करने के लिए कहा है।
शहर में मॉडल स्कूल की ७ ब्रांच हैं। इन स्कूलोंकी गर्ल्स स्टूडेंट्स को अप्रैल से शुरू होने वाले नए सेशन में यूनिफॉर्म में चेंज किए जाने की जानकारी दी गई है, जिसके तहत स्कूल में स्कर्ट पहनकर आने पर बैन रहेगा। नई यूनिफॉर्म के तहत लड़कियां गर्मी में स्काई ब्लू कुर्ता और सफेद सलवार पहनेंगी। सर्दी में ग्रे कुर्ता और सफेद सलवार पहनना होगा। साथ में दुपट्टा भी जरूरी किया गया है। वहीं, घरों में भी सूट-सलवार न पहनने वाली लड़कियां एग्जाम के दौरान ऐसे आदेश जारी होने से तनाव महसूस कर रही हैं।
स्कूल की मेन ब्रांच की प्रिंसिपल तरु गुप्ता का कहना है कि यह निर्देश मैनेजमेंट कमिटी के सेक्रटरी रामबाबू बंसल ने दिया था, जो जो हमें भी पसंद आया। हमारे स्कूल में नर्सरी से १२वीं तक की क्लासेज चलती हैं। नई यूनिफॉर्म ७वीं से १२वीं क्लास की गर्ल्स के लिए लागू की जा रही है। इस क्लास तक लड़कियोंका काफी हद तक शारीरिक विकास होने लगता है। खेलने-कूदने और उठने-बैठने के दौरान स्कर्ट इधर-उधर हो जाती हैं, जिससे लड़कोंका मन प्रभावित होता है।
लड़कोंका ध्यान न भटके और वे अपनी पढ़ाई में ध्यान लगाएं, इसलिए यह निर्देश जारी किया गया है। प्रिंसिपल तरु गुप्ता ने लड़कियोंके लिए अनसेफ माहौल के लिहाज से भी इस कदम की वकालत की है। उन्होंने कहा कि फिलहाल नई यूनिफॉर्म का मामला प्रोसेस में है और इस बारे में कमिटी हर पहलू पर विचार कर रही है। उन्होंने स्वीकार किया कि ३ अप्रैल से नए सेशन में गर्ल्स को सलवार-सूट और दुपट्टा पहनकर आने के लिए कहा गया है। नई यूनिफॉर्म की तैयारी के लिए १५ दिनों की छूट दी जाएगी।
मॉडर्न एजुकेशन सोसायटी की देखरेख में चलने वाले इस स्कूल के चेयरमैन डिप्टी कमिश्नर शेखर विद्यार्थी का कहना है कि यूनिफॉर्म चेंज के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। स्कूल के सीईओ कर्नल (रिटायर्ड) महेंद्र सिंह राठी ने कहा कि चेयरमैन की अनुमति के बिना सेक्रटरी कोई आदेश जारी नहीं कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो चेयरमैन इसे पसंद नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि सेक्रटरी उनसे सीनियर हैं और वह संस्था में सीनियर्स का विरोध नहीं करेंगे। यह बड़ा मुद्दा नहीं है। हालांकि, उन्होंने इस बात से असहमति जताई कि लड़कों के भटकाव का लड़कियोंकी ड्रेस से कोई ताल्लुक हो सकता है।
स्कूल के इस फरमान को लेकर महिला संगठनोंने नाराजगी जताई है। सोशल एक्टिविस्ट और जनवादी महिला समिति की सदस्य शुभा ने कहा कि इस तरह का फरमान टीन एज गर्ल्स के मन में गुत्थियां पैदा करेगा और वे अपने शरीर और ड्रेस को लेकर नाहक शर्मिंदगी महसूस करेंगी। लड़कियां का ग्रो करना कोई अपराध या मानव जाति का अहित नहीं है। लड़कोंके भटकाव के खतरे के नाम पर लड़कियोंके लिए आचार संहिता बनाने के बजाय लड़कोंकी हरकतोंको चेक किया जाए। लड़कोंकी असहजता, उनके चरित्र, उनके लालन-पालन के ढंग पर बात कर उन्हें आगे बढ़ रही लड़कियोंके साथ तालमेल कायम करना सिखाया जाए।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स