आषाढ कृ. ९, कलियुग वर्ष ५११४
पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिंदू जनजागृति समिति
मुगलकालमें भी नहीं हुए होंगे, इतने अत्याचार हिंदुओंपर स्वतंत्रताके उपरांत हुए हैं
रामनाथी – मुगलकालमें भी नहीं हुए होंगे, इतने अत्याचार हिंदुओंपर स्वतंत्रताके उपरांत हुए हैं । १९९० में ५ लक्ष कश्मीरी हिंदुओंको उनके ही देशसे विस्थापित होना पडा । बडी मात्रामें लोगोंका विस्थापन होना यह विश्वकी बडी घटना थी । उस समय उनकी सहायताके लिए कोई नहीं था । इन अत्याचारोंके विरोधमें भारतमें कहीं भी निषेध व्यक्त नहीं किया गया; परंतु फ्रेंच पत्रकार फ्रान्सुआ गोतिएने स्वयं आगे आकर उनपर हुए अत्याचारोंके छायाचित्र प्रदर्शनीका निर्माण किया ।
हिंदू जनजागृति समितिने इस प्रदर्शनीको महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, केरल, दिल्ली, गोवा, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा इत्यादि राज्योंमें २६३ स्थानोंपर दिखानेका आयोजन किया । इसका लाभ ५ लक्ष ८ सहस्र ६४२ लोगोंने उठाया । इससे हुए प्रबोधनके कारण कश्मीरी हिंदुओंको देशभरसे सहानुभूति मिली तथा उनका मनोबल बढा । इतना ही नहीं हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोमें कश्मीरी हिंदुओंके प्रति धर्मबंधुत्वकी भावना उत्पन्न हुई । ऐसा प्रतिपादन हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजीने किया ।
१. प्रसारमाध्यमोंने कश्मीरी हिंदुओंके विषयमें समाचार नहीं दिए थे; परंतु उन्हें अब हिंदुओंपर हुए अत्याचारोंके लिए हस्तपेक्ष करना पडा ।
२. अनेकोंने कश्मीरी हिंदुओंके लिए विविध कृत्य किए ।वाराणसीमें हिंदू अधिवक्ताओंने निदर्शन किए ।
३. इन प्रदर्शनियोंको महाराष्ट्रमें पुलिस और प्रशासनने भी विरोध किया; परंतु हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंके समर्थनके कारण वह विफल हो गया ।