चैत्र कृष्ण पक्ष चतुर्दशी, कलियुग वर्ष ५११६
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नई देहली : देश की शीर्ष ऐतिहासिक शोध संस्था ने योग, आयुर्वेद और वैदिक ज्योतिष का प्रचार-प्रसार करने वाले अमेरिकी वैदिक विद्वान डेविड फ्रली को संबोधन देने का निमंत्रण दिया है। मगर, इसे लेकर कुछ प्रमुख शिक्षाविदोंने विवाद खड़ा कर दिया है। उनका कहना है कि सरकार का यह कदम शिक्षा का भगवाकरण करने का है।
इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टॉरिकल रिसर्च (आईसीएचआर) ने अपने स्थापना दिवस के मौके पर २७ मार्च को डेविड को भाषण देने के लिए बुलाया है। इस दौरान वह बताएंगे कि भारतीय इतिहास लेखन को कैसे आध्यात्म, धर्म, संस्कृति पर जोर देना चाहिए। शिक्षाविदोंके बीच डेविड को इतिहासकार नहीं माना जाता है। ऐसे में उन्हें दिया गया निमंत्रण और उनके लेक्चर की थीम को लेकर आईसीएचआर काउंसिल के कदम पर वामपंथी इतिहासकारोंने सवाल खड़ा किया है।
डेविड को इस वर्ष पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके बाद संघ परिवार ने कहा था कि वैदिक अध्ययन में अधिक शोध करने की जरूरत है। शिक्षा क्षेत्र, खासतौर पर इतिहास में हमेशा से ही सरकार समर्थक शिक्षाविदों और वामपंथी शिक्षाविदोंके बीच घमासान युद्ध देखने को मिलता है।
उनका एक भारतीय नाम भी है। उन्हें पंडित वामदेव शास्त्री के नाम से भी जाना जाता है। वह अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ वैदिक स्टडीज चलाते हैं, जो कि एक वेब आधारित शिक्षा केंद्र है। उन्होंने भारतीय योगिनी शंभवी देवी से शादी की है। वह लेखिका हैं और वैदिक शिक्षिका हैं। उन्होंने बेंगलुरू के स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान समस्थान से योग में डीलिट किया है।
स्त्रोत : नई दुनिया