ट्यूनिस (आफ्रिका) : अरब क्रांति का जनक उत्तर अफ्रीकी देश ट्यूनीशिया बुधवार को आतंकी हमले से दहल उठा। आतंकियों ने राजधानी ट्यूनिस में संसद के करीब स्थित बारदो राष्ट्रीय संग्रहालय पर हमला किया। इसमें १७ विदेश सैलानियों सहित २१ लोगों की मौत हो गई। संभवतया कुछ हमलावर भाग निकले। ट्यूनीशिया के प्रधानमंत्री हबिब एसिद ने बताया कि हमले में मारे गए २१ लोगों में १७ पर्यटक, दो हमलावर, एक सुरक्षा अधिकारी और एक ट्यूनीशियाई महिला है। मारे गए पर्यटक इटली, पोलैंड, जर्मनी और स्पेन के हैं।
आतंकियों ने कुछ पर्यटकों को बंधक भी बना लिया था। इसके बाद जवाबी कार्रवाई करते हुए सुरक्षा बलों ने दो आतंकियों को मार गिराया और बंधकों को मुक्त करा लिया। प्रधानमंत्री ने बताया कि दो या तीन हमलावर भाग निकले में कामयाब हो गए।हमले में कई लोग घायल हुए हैं। इनमें पोलैंड के तीन और इटली के दो नागरिक हैं। रोम में इटली के एक अधिकारी ने बताया कि हमले के वक्त संग्रहालय परिसर में करीब १०० इतालवी मौजूद थे, जिन्हें सुरक्षा बलों ने शुरुआत में ही बाहर निकाल लिया था। म्यूजियम के पास ही संसद भवन है।
ट्यूनीशियाई गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि हमला होते ही संसद भवन को सुरक्षा बलों ने खाली करा लिया था। आईएस का हाथ!खबर लिखे जाने तक हमले की जिम्मेदारी किसी संगठन ने नहीं ली थी। लेकिन, इसके पीछे इस्लामिक स्टेट (आईएस) का हाथ होने की आशंका जताई जा रही है। एक आकलन के मुताबिक करीब तीन हजार ट्यूनीशियाई नागरिक सीरिया और इराक में इस संगठन की ओर से लड़ रहे हैं। इनमें से कुछ के देश लौटने और यहां हमला करने की आशंका पिछले दिनों ही सरकार ने जताई थी।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन अंसार अल शरिया भी इस देश में सक्रिय है। २००२ के बाद सबसे बड़ा हमलापिछले 13 सालों में ट्यूनीशिया में यह सबसे घातक हमला है। इससे पहले पर्यटकों के बीच लोकप्रिय द्वीप देरबा में २००२ में अलकायदा ने आत्मघाती हमला किया था। इस हमले में २१ लोगों की मौत हो गई थी।
अरब क्रांति का रहा है केंद्रट्यूनीशिया से ही अरब क्रांति की शुरुआत हुई थी। इसके बाद लीबिया, मिस्र, सीरिया और यमन में इसका असर देखने को मिला था। लेकिन, नया संविधान स्वीकार करने और शांतिपूर्ण चुनावों के बाद से इस देश में शांति है। १५वीं सदी में बना था म्यूजियमनेशनल बारदो म्यूजियम १५वीं सदी में बना था और ट्यूनीशिया में सबसे बड़ा म्यूजियम है। यह संसद भवन से 4 किमी दूरी पर है और २००९ में इसका जीर्णोद्धार किया गया था।
स्त्रोत : नयी दुनिया