चैत्र पौर्णिमा, कलियुग वर्ष ५११६
नए राशन कार्ड में अब पिता नहीं, मां घर की मुखिया होंगी। कार्ड पर मां का फोटो, बैंक अकाउंट और आधार कार्ड नंबर होगा। प्रदेश सरकार ने यह बदलाव खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने से पहले किया है।
बरेली में १० लाख से अधिक राशन कार्डोंकी नए सिरे से फीडिंग शुरू करा दी गई है, लेकिन बरेली के दरगाह अल हजरत ने महिलाओंको घर के मुखिया बनाये जाने का विरोध किया है और फतवा कर इसे शरियत के खिलाफ बताया है।
फतवे में कहा गया है कि ‘महिलाओंको मुखिया बनाने के इस कानून की बरेली मरकज कड़ी मजम्मत करता है। सरकार को कानून में संशोधन करने के लिए कदम उठाने होंगे। यह कानून मुसलमानोंके हित में नहीं है। सरकार को इस पर विचार करना होगा।’
राशन कार्ड पर महिला को मुखिया बनाकर उसकी तस्वीर लगाने के मामले में दरगाह अल-हजरत ने नाराजगी जाहिर करते हुए फतवा जारी किया है। फतवे के मुताबिक घर का मुखिया सिर्फ पुरुष होता है, मुस्लिम समाज में महिला को घर का मुखिया नहीं बनाया जा सकता, यह उनके शरियत और इस्लाम के खिलाफ है।
दरगाह अल-हजरत के दारुल उलूम के मोहतमिम ने केंद्र सरकार के खाद्य सुरक्षा अधिनियम को शरियत कानून में दखलंदाजी बताया है। उन्होंने सरकार से इसे वापस लेने की मांग की है। इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि हुकूमत को अपने फैसले पर फिर विचार करना चाहिए।
दरगाह अल-हजरत के प्रवक्ता मौलाना सहाबुद्दीन ने कहा, ‘राशन कार्ड में महिला को मुखिया बनाने के सरकार के कानून पर बरेली मरकज के उलेमा नाराज हो गए हैं। दरगाह आला हजरत के मंजरे इस्लाम से जुड़े मुफ्तियोंने मंगलवार को बैठक कर अपनी नाराजी जाहिर की है।’
उलेमा ने कहा कि महिला को घर का मुखिया बनाना शरीयत के खिलाफ है। सरकार को इस नियम में बदलाव करना होगा। उलेमा ने बयान जारी करने के लिए दरगाह के मौलाना अहसन रजा कादरी उर्फ अहसन मियां से अनुमति ली है।
मुफ्ती सलीम नूरी ने कहा, ‘देश हमेशा से पुरुष प्रधान रहा है। सरकार का यह फैसला परंपराओंसे अलग है। इस कानून से आने वाले समय में महिलाओंको दिक्कतोंका सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि बरेली मरकज से कानून के खिलाफ फतवा जारी किया गया है।’
दिलचस्प बात ये हैं कि इस कानून पर प्रतिक्रिया देने वाले सभी पदाधिकारी और मुफ्ती और मौलाना पुरुष हैं।
स्त्रोत : आज तक