चैत्र अमावस्या, कलियुग वर्ष ५११६
एेसे भ्रष्टाचारी लोगों की सर्व संपत्ती जब्त कर उन्हे आजन्म कारावास की शिक्षा देनी चाहिए !
अहमदाबाद : उच्चतम न्यायालय ने गुरूवार को गुजरात दंगों में क्षतिग्रस्त गुलबर्ग सोसाइटी में संग्रहालय बनाने के नाम पर करोड़ों रूपए ऎंठने की आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड़ और उसके पति जावेद आनंद को गिरफ्तार नहीं करने पर लगी रोक फिर से बढ़ा दी है। इस तरह गुजरात पुलिस फिलहाल दोनों को गिरफ्तार नहीं कर सकती। गत १९ फरवरी को उच्चतम न्यायालय ने इस संबंध में फैसला नहीं आने तक गिरफ्तारी पर रोक बढ़ा दी थी।
न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल की खंडपीठ ने इस मामले को बृहत पीठ को सौंप दिया। इसमें बृहत पीठ निजी स्वतंत्रता व जांच में आरोपी के सहयोग नहीं करने का मामला है। इसके तहत आरोपी और जांच एजेंसी के अधिकारों के संतुलन के बारे में बहस होगी। खंडपीठ ने गत सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की, कि निजी स्वतंत्रता को वेंटिलेटर या किसी आईसीयू में नहीं रखा जा सकता है। निजी स्वतंत्रता सर्वोपरी है।
तीस्ता व आनंद ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष अग्रिम जमानत की गुहार लगाई है। इससे पहले गुजरात उच्च न्यायालय ने दोनों की याचिका खारिज कर दी थी। तीस्ता व जावेद की ओर से दो गैर सरकारी संगठन जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) व सबरंग ट्रस्ट चलाया जाता है।
यह था मामला
अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने गत वर्ष जनवरी में २००२ के दंगों में शहर के क्षतिग्रस्त गुलबर्ग हाउसिंग सोसाइटी के सदस्य फिरोज सईद खान की शिकायत के आधार पर तीस्ता, आनंद, सोसाइटी के अध्यक्ष सलीम सिंधी, सचिव फिरोज पठान व जाकिया जाफरी के पुत्र तनवीर जाफरी के खिलाफ डेढ़ करोड़ रूपए की ठगी की प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इन पांचों पर दंगा पीडितों के साथ धोखाधड़ी और षडयंत्र के आरोप हैं। इन सभी पर दंगा पीडितों से फंड उगाह कर अपने निजी उपयोग में खर्च करने का आरोप है। साथ ही तीस्ता पर यह आरोप है कि उन्होंने दिसम्बर 2003 में गुलबर्ग सोसाइटी पीडितों से संग्रहालय बनाए जाने का जो वादा किया था वह अब तक नहीं बना। हालांकि उच्च न्यायालय ने तीन अन्य को अग्रिम जमानत प्रदान की थी।
स्त्रोत : पत्रिका