पौष कृष्ण २ , कलियुग वर्ष ५११५
बलवान हिंदुनिष्ठ संगठन निष्क्रिय होनेके कारण उन्होंने कुछ भी नहीं किया; परंतु हिंदुओंद्वारा किए गए विरोधके कारण यह सफलता मिली । इससे अब सर्वत्रके हिंदुओंको सीख लेकर सक्रिय होना चाहिए !
हिंदुओ, इस सफलताके लिए श्रीकृष्णके चरणोंमें कृतज्ञता व्यक्त करें !
छापकर देवताका अनादर करनेके कारण हिंदू संतप्त हुए थे एवं उन्होंने प्रतिष्ठानसे यह उत्पाद बाजारसे पुनः मंगवानेकी मांग की थी । हिंदुओंके तीव्र विरोधके कारण आस्थापनद्वारा क्षमायाचना कर भगवान श्रीगणेशजीके छायाचित्रवाले मोजे बाजारसे पुनः मंगवाए गए तथा उनके संकेतस्थलसे किया जानेवाला मोजेका विज्ञापन भी निरस्त किया गया ।
अमेरिकाके धार्मिक नेता श्री राजन जेदद्वारा प्रतिष्ठानको भेजे गए निषेधपत्रके उत्तरमें प्रतिष्ठानद्वारा यह जानकारी दी गई । श्री राजन जेदने प्रतिष्ठानको निषेधपत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने लिखा था, ‘भगवान श्री गणेश हिंदुधर्ममें सर्वाधिक पूजनीय देवता हैं । भगवान श्री गणेश बुद्धिके देवता हैं तथा कार्यमें आनेवाली अडचनें दूर होने हेतु प्रत्येक कार्यके आरंभमें इस देवताकी पूजा की जाती है । वास्तवमें भगवान श्री गणेशजीका स्थान मंदिर अथवा देवघरमें है, ना कि मोजेमें । आपके इस कृत्यके कारण करोडों हिंदुओंकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं । मैं आपसे विनती करता हूं कि आप त्वरित ये मोजे प्रतिष्ठानसे वापस मंगवाएं ।’ स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात |