आषाढ कृ ९, कलियुग वर्ष ५११४
‘छत्रपति शिवरायद्वारा हिंदवी राज्य, अर्थात आदर्श हिंदु राष्ट्रकी स्थापना की गई । ऐसे राष्ट्रका गठन हो, इस हेतु जिजाऊने उन्हें बाल्यावस्थामें ही आवश्यक शिक्षा प्रदान की । उनमें प्रखर धर्माभिमान एवं राष्ट्राभिमानके भाव जागृत किए । जिजाऊने उन्हें अस्त्रशस्त्रोंका प्रशिक्षण देकर उनमें विद्यमान क्षात्रवृत्ति जागृत की तथा उनके मनमें अन्याय एवं अत्याचारके विरुद्ध चिढ एवं न्यायके भाव जगाएं । बचपनमें ही उनके मनमें भक्ति एवं हिंदु धर्मका बीज बोकर सभी दृष्टिसे जिजाऊने शिवरायको विकसित किया; इसीलिए हिंदवी स्वराज्यकी स्थापना करना संभव हुआ । इसके ही फलस्वरूप आज हम सभी हिंदू, हिंदू कहकर जीवन व्यतीत कर रहे हैं । इस बातसे आपके ध्यानमें आया होगा कि माता ही हिंदु राष्ट्र गठनकी वास्तविक शिल्पकार है । जिजाऊके स्मृतिदिन निमित्त समस्त माताएं आज यह संकल्प करें कि हम हमारे बच्चोंको शिवरायके समान विकसित करनेका प्रयास करेंगी एवं हिंदु राष्ट्रकी स्थापनाके कार्यमें सहभागी होंगी ! ऐसा करनेपर हिंदु राष्ट्रका प्रातःकाल शीघ्र ही आएगा ! अब हम जिजाऊ एवं वर्तमानकी माताके विचारधारार्ओंका अभ्यास करेंगे ।
१. बच्चोंकी भवितव्यता
१ अ. वर्तमानकी माता
‘बच्चा केवल अपने लिए ही जीवन व्यतीत करे’ यह विचार कर उसके मनपर संकुचित संस्कारका बीजारोपण करना : ‘मेरा बेटा अथवा बेटी आधुनिक वैद्य(डॉक्टर) अथवा अभियंता बने एवं ऊंचा नाम प्राप्त करे’, वर्तमान माताओंकी ऐसी ही मानसिकता होती है । उनके विचार होते हैं कि बच्चा केवल अपने लिए ही जीवन व्यतीत करे, अर्थात ‘संकुचित मानसिकता’ हिंदु राष्ट्रके गठनमें सबसे बडी रुकावट ही हैं ।
जो माताएं अपने बच्चोंपर इस प्रकारके संकुचित संस्कार डालती हैं, वे अप्रत्यक्ष रूपसे राष्ट्रका विनाश ही करती हैं; क्योंकि इस प्रकारके संस्कारवाले व्यक्ति राष्ट्रका विचार करनेमें असमर्थ होते हैं, अत:उनका राष्ट्ररक्षा हेतु सिद्ध होना असंभवसी बात है ।
१ आ. जिजाऊ
‘शिवाजी राष्ट्रहेतु ही जीवित रहें’ ऐसे संस्कार जिजाऊद्वारा देना : ‘मेरा शिवाजी बडा हो; किंतु वह राष्ट्र हेतु ही जीवित रहें । अपना नाम ऊंचा करनेकी अपेक्षा राष्ट्रका नाम ऊंचा करें’ इस प्रकारका व्यापक विचार जिजाऊका था ।
माता ही बच्चेमें व्यापकताके भाव जागृत कर सकती है; अतः ‘हम भी बच्चोंमें व्यापकताके भाव जागृत कर हिंदु राष्ट्रके गठनमें अपना न्यूनतम सहभाग प्रदान करेंगी’, ऐसा निश्चय प्रत्येक माताको करना चाहिए ।
२. संस्कार डालना
२ अ. वर्तमानकी माता
‘अंग्रेजी ग्रंथ पढकर बच्चे ज्ञानी होंगे’, ऐसे विचार करना : वर्तमानकी माताओंकी इस प्रकारकी भ्रांत धारणाएं होती हैं कि बच्चे बडे अंग्रेजी ग्रंथ पढकर अपने आप ज्ञानी होंगे । परंतु माताएं यह बात ध्यानमें रखें कि इस प्रकारके ग्रंथ पढकर कोई पदवी निश्चित ही प्राप्त होगी; परंतु उसके द्वारा उनपर अच्छे संस्कार नहीं हो सकते ।
२ आ. जिजाऊ
शिवबाको रामायण एवं महाभारतकी कथाएं कथन करना : जिजाऊ शिवबाको प्रतिदिन रामायण-महाभारतकी कथाएं कथन करती थीं । अतः शिवरायके मनमें अन्यायके प्रति चिढ जागृत हुई तथा उन्होंने हिंदवी राज्य स्थापित करनेकी प्रतिज्ञा की ।
माताओ, अपने धर्मग्रंथ ही बच्चोंको आदर्श जीवनके पाठ पढा सकते हैं, इसलिए अपने बच्चोंको रामायण एवं महाभारत ग्रंथ पढनेके लिए बताएं, तभी घर-घरमें शिवाजी सिद्ध होंगे ।
३. आचरण
३ अ. वर्तमानकी माताएं
विदेशी विकृतियां अंगीकारना : वर्तमानकी माता ही विदेशियोंके समान आचरण कर रही हैं । उदा. जीन्स, टी शर्ट एवं पैंट परिधान करना, केश खुले छोडना इत्यादि । माताओंके इस आचरणके कारण बच्चे भी हिंदु संस्कृतिका पालन नहीं करते ।
३ आ. जिजाऊ
जिजाऊके धर्माचरणके कारण शिवरायपर संस्कार होना : ‘हिंदु संस्कृति मानवीय जीवनकी आधारशीला है’, जिजाऊकी ऐसी दृढ श्रद्धा थी । वह स्वयं धर्माचरण, उदा. माथेपर कुमकुम लगाना, केशोंका जूडा बनाना इत्यादि आचरण करती थीं । उसके साथ ही प्रतिदिन नामजप करना, देवताको प्रार्थना करना इत्यादि साधना भी वह करती थीं । जिजाऊके धर्माचरणके कारण ही शिवरायपर वे संस्कार दृढ हुए एवं उनमें अपने आप संस्कृतिके प्रति अभिमान जागृत हुआ ।
प्रत्येक माताको यह बतानेकी इच्छा होती है कि वे स्वयं हिंदु संस्कृतिके अनुसार धर्माचरण करनेका निश्चय करें । तो ही बच्चोंपर उचित संस्कार होंगे एवं बच्चे हिंदु राष्ट्र हेतु लायक नागरिक सिद्ध होंगे ।
४. केवल मनोंरंजन हेतु दूरचित्रप्रणालपर कुसंस्कार करनेवाले धारावाहिक देखना टालें ! : वर्तमानमें स्त्रियां मनोरंजन हेतु दूरचित्रप्रणालपर धारावाहिक देखती हैं । इन धारावाहिकोंमें क्रोध, द्वेष, मत्सर एवं मारपीटका ही अतिरेक रहता है । अतएव अच्छे संस्कार नहीं होते, अपितु केवल विकारोंको ही गति प्राप्त होती है । बच्चे भी यही कार्यक्रम देखते हैं । अतः उनपर भी उसका अनिष्ट परिणाम होता है । माताओ, राष्ट्र एवं धर्मके विषयमें धारावाहिक देखनेका प्रयास करें ।
५. प्रार्थना : सभी माताएं श्रीकृष्णके चरणोंमें प्रार्थना करें, ‘हे श्रीकृष्ण, हम जिजाऊके स्मृतिदिन निमित्त प्रार्थना करते हैं, ‘जिजाऊके समान हमारे बच्चोंपर संस्कार डालनेकी शक्ति एवं बुद्धि हमें प्रदान करें तथा हमारे हाथोंसे हिंदु राष्ट्र हेतु लायक नागरिक सिद्ध करनेकी सेवा करवा लें । आपके चरणोंमें यही विनम्र प्रार्थना है !’
– श्री राजेंद्र महादेव पावसकर, सनातन संकुल, देवद, पनवेल
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात