नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में हाल ही में रिहा किए गए अलगाववादी नेता मसरत आलम को पाकिस्तान नेशनल डे समारोह में शामिल होने का न्योता दिया गया है। पाकिस्तानी उच्चायुक्त बासित अली ने २३ मार्च को यौम-ए-पाकिस्तान समारोह में शामिल होने के लिए मसरत को बुलाया है। हालांकि, मसरत समारोह में शामिल नहीं होगा। मर्सरत आलम ने कहा, “स्वास्थ्य कारणों से मैं नहीं जा पाऊंगा, लेकिन मेरे साथी जाएंगे।” वैसे, कई अलगाववादी नेता इस समारोह में शरीक हो रहे हैं। पाकिस्तान की इस हरकत को दोनों देशों के बीच एक बार फिर शुरू हुई बातचीत को प्रभावित करने वाला बताया जा रहा है।
वहीं, दूसरी ओर शिवसेना ने इस मसले पर कहा है कि पाक हाई कमिश्नर का अलगाववादी नेताओं को बुलाना भारत के लिए चिंता का विषय है। भारत सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए और एक्शन लेना चाहिए।
गौरतलब है कि मसरत आलम की रिहाई को लेकर हाल ही में देश की राजनीति में खासा बवाल मच चुका है। बीजेपी के सहयोग से बनी मुफ्ती सरकार के इस फैसले से न सिर्फ बीजेपी, बल्कि गृह मंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नाखुशी जाहिर कर चुके हैं। संसद के दोनों सदनों में कई दिनों तक इस मसले को लेकर हंगामा होता रहा। इसके बाद पीएम मोदी को इस मसले पर बयान तक देना पड़ा था।
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेताओं से मिले बासित अली
वहीं, दूसरी तरफ लगभग आठ महीने के बाद पाकिस्तान के उच्चायुक्त और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के बीच बातचीत का सिलसिला रविवार को फिर शुरू हो गया है। हुर्रियत के उदारवादी गुट के प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक ने उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ पाक उच्चायुक्त अब्दुल बासित से मुलाकात की। मीरवाइज पाकिस्तान दिवस समारोह में हिस्सा लेने के लिए बासित के निमंत्रण पर सात हुर्रियत नेताओं के प्रतिनिधिमंडल के साथ दिल्ली आए हैं। प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता के बाद उन्होंने पाक उच्चायुक्त से अकेले में मुलाकात कर विदेश सचिव स्तर की बातचीत के बारे में जानना चाहा और कश्मीर के ताजा हालात की जानकारी दी। पिछले साल अगस्त में हुर्रियत नेताओं से पाक उच्चायुक्त की मुलाकात के बाद विदेश सचिवों की वार्ता रद्द करने वाली केंद्र सरकार इस बार मुलाकात को तवज्जो नहीं दे रही है। दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर के डिप्टी सीएम निर्मल सिंह ने बासित और अलगाववादी नेताओं की मुलाकात को सही ठहराया है। उनका कहना है कि यह एक समाजिक कार्यक्रम है।
क्यों मनाया जाता है पाकिस्तान दिवस?
ब्रिटिश राज के दौरान मुस्लिम लीग ने २३ मार्च, १९४० को में लाहौर में पाकिस्तान को पूरी तरह स्वायत्त और संप्रभु मुस्लिम देश बनाने का प्रस्ताव रखा था। यह पास हो गया था। इस प्रस्ताव को लाहौर रिजोल्यूशन और पाकिस्तान रिजोल्यूशन का नाम दिया गया। पाकिस्तान बनने के बाद १९५६ में इसी दिन पाकिस्तान का पहला संविधान अपनाया गया था। इसी खुशी में हर साल पाकिस्तान दिवस मनाया जाता है।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर