पौष कृष्ण ३ , कलियुग वर्ष ५११५
विधानमंडलमें क्या सम्मत करना है, सरकार यह पूर्वसे ही निश्चित करती है । अतः विपक्षियोंद्वारा कितनी भी आवाज उठानेपर सरकार उसपर ध्यान नहीं देती तथा अपने अधिकारोंका दुरुपयोग कर कोई भी विधेयक सम्मत करती है । यदि ऐसा है, तो विपक्षकी आवश्यकता ही क्या है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात
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विपक्षियोंद्वारा दी गई अच्छी सूचनाओंके प्रति उदासीनता
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विद्या चौहानके वक्तव्यके कारण कोलाहल
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जादूटोनाविरोधी कानूनके विरुद्ध बलवान हिंदुनिष्ठ संगठन एक शब्द भी क्यों नहीं बोलते ? क्या उन्हें ऐसा प्रतीत होता है कि हिंदुधर्मपर आघात करनेवाली बातोंसे उनका कोई संबंध नहीं है ?
नागपुर (वार्ता.) – विधान परिषदमें १६ दिसंबरसे अबतक जादूटोनाविरोधी विधेयकपर प्रदीर्घ विचार-विमर्श हुआ । तदुपरांत १८ दिसंबरको विपक्षियोंने, ‘उन्हें बोलने हेतु पर्याप्त समय न दिया गया,’ ऐसा कारण बताते हुए सरकारकी निषेध किया एवं काम-काजका बहिष्कार लकरते हुए सभाका त्याग किया। विपक्षियोंकी अनुपस्थितिका अनुचित लाभ उठाते हुए विधान परिषदमें सत्ताधारी सदस्योंने १८ दिसंबरको रात्रि ९.४५ बजे हिंदुद्रोही जादूटोनाविरोधी विधेयक सम्मत किया गया । रात्रि देरतक चल रहे विधेयककी चर्चामें शिवसेनाके गुटनेता श्री. दिवाकर रावते, श्री. रामदास कदम, विपक्षनेता भाजपाके श्री. विनोद तावडेके साथ विपक्षके अन्य सदस्योंद्वारा दी गई अच्छी सूचनाओंको दुर्लक्षित कर सरकारने अपूर्ण, त्रुटियुुक्त एवं धर्मपर आघात करनेवाला हिंदुद्रोही जादूटोनाविरोधी विधेयक बिना सुधारके सम्मत किया । राष्ट्रवादी कांग्रेसकी विधायिका विद्या चौहानद्वारा शिवसेनापर आपत्तिजनक वक्तव्य देनेके कारण सभागृहमें कोलाहल मच गया था ।
शिवसेनाके कारण विधेयकको अनेक कठिनाईयोंका सामना करना पडा !
१६ दिसंबरसे विधान परिषदमें इस विधेयकपर विचार-विमर्श आरंभ होनेके उपरांत शिवसेनाके नेता श्री. रामदास कदम एवं श्री. दिवाकर रावतेने इस विधेयककी अपत्तिजनक धाराओंकी विस्तृत जानकारी देकर कष्टदायी एवं हिंदुधर्मपर आघात करनेवाले सूत्र निरस्त करनेकी सूचना दी थी । विधान परिषदमें इस विधेयकको कठिनाईयोंका सामना करना पडा । श्री. कदम एवं श्री. रावतेद्वारा इस विधेयकमें संतोंके चमत्कार, दिवंगत संत, संशोधन, धार्मिक प्रथा तथा परंपराओंके संदर्भमें कुछ प्रबंधोंके fिवषयमें आपत्ति उठाकर उसमें सुधार करनेकी सूचना दी गई थी । विशेषतः इस कानूनमें किस प्रकार सुधार किया जाए, इस संदर्भमें उदाहरणके साथ उन्होंने सभागृहमें विस्तृत जानकारीउदाहरणके साथ सभागृहमें दी थी । साथ ही यह कानून लागू करनेके स्थानपर भारतीय दंड विधान संहिताकी विविध धाराएं बताकर वर्तमान समयके कानून सक्षम होनेके संदर्भमें स्पष्ट किया था । तत्पश्चात इस विधयकके प्रबंधमें सुधार परिवर्तन करनेका आश्वासन देकर भी सामाजिक न्यायमंत्री शिवाजीराव मोघेने विधेयकके कष्टदायी प्रबंधोंमें कोई परिवर्तन नहीं किया ।
क्षणिकाएं
१. सभागृहमें शिवाजीराव मोघे जादूटोनाविरोधी विधेयकके विषयमें त्रुटिपूर्ण जानकारी दे रहे थे । तो भी संसदीय कामकाज मंत्री हर्षवर्धन पाटिल तथा गृहमंत्री रा.रा. पाटिल उनका साथ दे रहे थे । वे निरंतर मोघेको ‘आप बोलते रहें’ ऐसा कह रहे थे ।
२. मोघेने विपक्षियोंकी सूचनाओंका कोई अभ्यास नहीं किया था । उन्हें दी गई सूचनाओंपरवे सभागृहमें वे कोई जानकारी नहीं दे सके । वे केवल ‘यह विधेयक हिंदू धर्मपर आघात करनेवाला नहीं है तथा इसमें कोई कष्टदायी व्यवस्था नहीं है’ इतना ही कहकर समय काट रहे थे ।
३. भाजपाकी विधायिका श्रीमती शोभाताई फडनवीस श्रद्धा एवं धार्मिक प्रथा तथा परंपरा कितनी महत्वपूर्ण हैं, इस विषयमें अच्छे सूत्र प्रस्तुत कर रही थीं; परंतु सत्ताधारी पक्षोंके सदस्योंने उन्हें बोलने नहीं दिया । (इससे स्पष्ट होता है कि कांग्रेसियोंको हिंदु धर्म, धार्मिक प्रथा एवं परंपराओंसे कितना थ्यपरहेज है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात