पौष कृष्ण ३ , कलियुग वर्ष ५११५
सम्मत कानून त्रुटिपूर्ण होनेके कारण स्थायी रूपसे विरोध ! – हिंदू जनजागृति समिति
हिंदू जनजागृति समितिके महाराष्ट्र राज्य समन्वयक श्री. सुनील घनवट ने प्रसिद्धिपत्रकाद्वारा सूचित किया है कि विधानमंडलमें महाराष्ट्र सरकारद्वारा सम्मत जादूटोनाविरोधी कानून त्रुटिपूर्ण एवं धर्मपर आघात करनेवाला है । इसलिए भविष्यमें भी उसको हिंदू जनजागृति समितिका तीव्र विरोध रहेगा । इस विषयमें सुधारित कानूनका अभ्यास, तथा वरिष्ठ कानूनविशारदोंसे विचार-विमर्श कर समितिके आगेकी नीति शीघ्रही सार्वजनिक की जाएगी । इस पत्रकमें कहा गया है कि अंधश्रद्धाके निर्मूलनके लिए वर्तमान समयके कानून सक्षम एवं प्रभावी होते हुए उनको प्रभावी रूपसे कार्यान्वित न कर केवल मुट्ठीभर नास्तिकवादियोंको खुश करने हेतु यह कानून बनाया गया है । विधेयकपर विचार विमर्श होते समय विपक्षके सदस्योंद्वारा दी गई सूचनाओंमें अनेक अच्छी सूचनाओंको जानबूझकर सरकारने दुर्लक्षित किया । अतः इस त्रुटिपूर्ण कानूनसे धार्मिक जनताके आहत होनेकी पूरी संभावना है ।
उसीप्रकार ‘यह जादूटोनाविरोधी कानून परिपूर्ण है अथवा कानूनके विरोधमें प्रचार हो रहा है,’ ऐसा कहनेवाले व्यक्तियोंको उसमें आमूल परिवर्तन करना पडा । यही वारकरी, हिंदुनिष्ठ संगठन, पुरोहित महासंघ एवं हिंदू जनजागृति समितिके संगठित आंदोलनकी सफलता है । भविष्यमें तीसरे व्यक्तिको परिवादका अधिकार देनेसमान मारक सुधारोंके माध्यमसे इस कानूनकी तीव्रता बढाई जा सकती है; परंतु इसे हमारा कठोर विरोध रहेगा । इस कानूनको कार्यान्वित करते समय नास्तिक संगठनोंको सरकारकी सहायतासे प्रबोधनके नामपर ईश्वर तथा धर्मविरोधी विचार बोनेका अवसर मिलेगा । इस विषयमें हिंदुओंको जागृत रहकर लडाई करनी पडेगी । इसलिए हिंदुआेंको अभीसे संगठित एवं सर्तर्क होना चाहिए ।
संतोंकी निंदा करनेवाले व्यक्तियोंके विरोधमें कानून बने ! – ह.भ.प. वक्ते महाराज
वारकरी संप्रदायके भीष्माचार्य एवं राष्ट्रीय वारकरी सेनाके अध्यक्ष ह.भ.प. निवृत्ति महाराज वक्तेने एक प्रसिद्धिपत्रकद्वारा सूचित किया कि जादूटोनाविरोधी कानूनसे वारकिरयोंके लिए अडचनें सिद्ध होनेवाली कुछ बातें हटाई गई हैं; परंतु सरकारको चाहिए कि वह इस कानूनका पाखंडियोंद्वारा दुरुपयोग न हो, इसका दायित्व ले । केवल इतना ही नहीं, अपितु वारकरी परंपराकी रक्षा होने हेतु संत एवं संतपरंपराकी निंदा करनेवाले व्यक्तियोंके विरोधमें कार्यवाही करनी चाहिए तथा मंदिरके परिसरमें मदिरा तथा मांसका विक्रय, गोहत्या तथा नास्तिक संगठनोंपर प्रतिबंध लगानेके लिए कानून बनने चाहिए ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात