आषाढ कृ. ९, कलियुग वर्ष ५११४
आचार्य योगेश शास्त्री, समन्वयक, आर्य प्रतिष्ठान, बंगाल
रामनाथी – मुसलमान अपनी संतानपर बचपनसे ही इस्लामके संस्कार करनेके लिए प्रयत्नरत रहते हैं । वे उन्हें ऐसी चेतावनी देते हैं कि ‘जिस दिन तू नमाज नहीं पढेगा, उस दिन तुझे रोटी नहीं मिलेगी ।’ इसके विपरीत हिंदू अपने स्वधर्मके विषयमें अज्ञानी ही हैं । विद्याग्रहण करनेके उपरांत उस अनुसार आचरण करनेसे श्रीराम मर्यादापुरुषोत्तम बन गए, जबकि रावणने विद्याके अनुसार आचरण नहीं किया इसलिए उसका अधःपतन हुआ । हिंदू राष्ट्रकी निर्मितिके लिए क्षात्रतेज समान ही ब्राह्मतेजकी भी आवश्यकता है । इसके लिए हिंदुओंको श्रीराम एवं श्रीकृष्णका आदर्श लेना चाहिए ।