मध्यप्रदेश के जबलपुर के एक कैथोलिक स्कूल और चर्च पर कथित हमले के ६ अभियुक्तों की घंटे भर के भीतर हुई रिहाई को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
पुलिस का कहना है कि उन्होंने वीडियो फ़ुटेज के आधार पर कार्रवाई की, वहीं अभियुक्त ऐसी किसी घटना से ही इंकार कर रहे हैं।
दूसरी ओर कैथोलिक समाज के प्रवक्ता फ़ादर वलन अरासू ने कहा “इन घटनाओं के पीछे कौन है, यह बात सभी को पता है। कौन किसके दबाव में काम कर रहा है, इसकी सब को जानकारी है। सारे सबूतों के बाद भी अभियुक्त अगर घंटे भर में छूट रहे हैं तो हमें अपनी क़ानून व्यवस्था को लेकर विचार करने की ज़रुरत है।”
चर्च में हुई थी तोड़फोड़
शुक्रवार और शनिवार को जबलपुर के सेंट थॉमस स्कूल और सेंट पीटर एवं पॉल कैथेड्रल में धर्म सेना से जुड़े लोगों ने कथित तौर पर तोड़फोड़ की थी और ईसाई धर्मावलंबियों के साथ मारपीट भी की थी। तोड़फोड़ करने वालों का आरोप था कि स्कूल में धर्मांतरण किया जा रहा था।
सेंट थॉमस स्कूल और सेंट पीटर एवं पॉल कैथेड्रल में तोड़फोड़ के अभियुक्त नरेंद्र मोदी सेना के प्रदेश अध्यक्ष व धर्म सेना के नेता योगेश अग्रवाल कहते हैं “स्कूल और चर्च में लंबे समय से धर्मांतरण का खेल चल रहा था। हमें जब ख़बर मिली तो हमने पुलिस को सूचना दी और हम पुलिस के साथ वहां पहुंचे।”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े योगेश अग्रवाल का दावा है कि वहां पड़ोसी ज़िलों के आदिवासियों को धर्मांतरण के लिये लाया गया था। पुलिस के सामने आदिवासियों ने कथित धर्मांतरण की बात कही।
चर्च पर लगाए धर्मांतरण के आरोप
योगेश कहते हैं “पुलिस ने सारे सबूत होने के बाद भी दबाव में कोई कार्रवाई नहीं की और हमें वहां से घर भेज दिया गया। बाद में पुलिस ने हमें ही गिरफ़्तार कर लिया।”
हालांकि जबलपुर की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ईशा पंत ने बीबीसी से बातचीत में दावा किया कि मौक़े के वीडियो फ़ुटेज के आधार पर योगेश अग्रवाल समेत ६ लोगों की गिरफ़्तारी की गई। बाद में इन सभी को २५-२५ हज़ार रुपये के मुचलके पर ज़मानत दे दी गई।
लेकिन अभियुक्तों की रिहाई से कैथोलिक समाज डरा हुआ है और दुखी भी है। कैथोलिक समाज के प्रवक्ता वलन अरासू का कहना है कि पिछले तीन महीनों में देश भर में ईसाई समाज पर हमले तेज़ हुए हैं। ईसाइयों को विदेशी बताने की कोशिश की जा रही है। अरासू कहते हैं “इन हमलों के बाद भी हम सेवा का काम जारी रखेंगे।”
स्त्रोत : बी बी सी