पौष कृष्ण ५ , कलियुग वर्ष ५११५
गोरक्षपीठके महंत अवैद्यनाथजी महाराजको भेंट स्वरूप मासिक एवं ग्रंथ देते हुए पू. डॉ. पिंगले |
गोरखपुर (वार्ता.) – हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगले नेपाल भ्रमणपर थे । वहांसे गोरखपुर (उत्तरप्रदेश) वापिस आते समय उन्होंने प्रगतिनगर तथा नवलपरासीके श्री पशुपति सांगवेद आवासीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालयका भ्रमण किया तथा वहांके संस्थापक एवं संरक्षक श्री. १०८ स्वामी सच्चिदानंदपुरी महाराजसे मिलकर उन्हें समितिके कार्यका परिचय दिया ।
इस अवसरपर महाराजने कहा कि हिंदू अपनी संस्कृतिका जितना तिरस्कार करेंगे, उसमें उतना ही फंसते चले जाएंगे । धर्मविरोधी कृत्य करनेसे कौनसे भयानक परिणाम होते हैं, हिंदुओंको महाप्रलयके समय केदारनाथमें हुए हाहाकारके अवसरपर निश्चित रूपसे इसकी प्रतीति हुई होगी । यूरोप एवं अमेरिकामें कोई योगीपुरुष जन्म नहीं लेता; परंतु भारतभूमिमें अनेक योगीपुरुष हैं । देवी-देवताओंका भी अवतरण यहींपर हुआ । ऋषिमुनियोंने आपत्तिसे अपनी रक्षा करनेका मार्ग बताया है। उसका अवलंब करें ।
यदि हिंदू संगठित हुए, तो उन्हें कोई चुनौती नहीं दे सकेगा ! – महंत अवैद्यनाथजी महाराज, गोरक्षपीठ, उत्तर प्रदेश
२०.१२.२०१३ को हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगलेने गोरखपुरके गोरक्षपीठके महंत अवैद्यनाथजी महाराजसे भेंट की । महाराजको समितिद्वारा राष्ट्र एवं धर्मके विषयमें किए जानेवाले कार्य बतानेपर वे अत्यंत प्रसन्न हुए तथा उन्होंने कार्यके लिए आशीर्वाद दिए । महाराजने कहा कि हमें सर्वधर्मसमभावका अवलंब नहीं करना चाहिए; क्योंकि अन्य धर्मीय उसे नहीं मानते । संगठित समाजमें शक्ति होती है; परंतु समाज यदि असंगठित हुआ, तो उसकी शक्ति बिखर जाती है । बिखरे हिंदुओंको एकछत्रके नीचे लाना आवश्यक है । हिंदू जात-पांत, स्पृश्य-अस्पृश्य तथा ऊंच-नीचमें फंसे हैं । इस विषयमें उनका प्रबोधन कर उनकी मानसिकतामें परिवर्तन लाना आवश्यक है । यदि हिंदू संगठित हुए, तो कोई उन्हें चुनौती नहीं दे सकेगा । हिंदू अधिवेशनके लिए आमंत्रित करनेपर उन्होंने कहा कि प्रकृतिकी अस्वस्थताके कारण उनका आना संभव नहीं होगा । इसलिए वे गोरक्षपीठके उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथको भेजेंगे ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात