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हिंदुओंमें वैचारिक क्रांति लाने हेतु हिंदूद्रोही ‘जादूटोना कानून’ महत्वपूर्ण माध्यम !

पौष कृष्ण ५ , कलियुग वर्ष ५११५

अंततः जादूटोना कानून पारित हुआ । इस कानूनके आधारपर हिंदुनिष्ठोंका बिनाकिसी कारणके छल होनेकी संभावनाको अस्वीकार नहीं किया जा सकता । इसलिए हिंदुओंमें अब महाराष्ट्रीय अस्मिता ‘आक्रमण हुआ, तो प्रतिकार करेंगे’  जागृत होनी चाहिए । इसके लिए…

१.  न्यायालयमें कानूनको चुनौती देनेवाली शिवसेना-भाजपाको तथा कानूनके विरुद्ध जनजागृति करनेवाले हिंदुनिष्ठ संगठनोंको हिंदुओंद्वारा सभी दृष्टिसे समर्थन देना चाहिए ।

२. प्रत्येक हिंदूको चाहिए कि वह कानूनका प्रारूप भली-भांति समझ ले; क्योंकि कल यदि कानूनका आधार लेकर कोई अन्याय करना चाहता है, तो उसका सामना करनेकी सिद्धता आज ही करनी चाहिए । यदि संभव हो तो समयके अनुसार तत्परतासे अधिवक्ताओंकी सहायता मिलनेकी व्यवस्था भी करके रखें ।

३. भविष्यमें होनेवाले चुनावमें हिंदुनिष्ठोंकी सरकार लानेका निश्चय करें । इसके लिए आजसे ही व्यापक जनप्रबोधन आरंभ करें ।

कानूनके विरोधमें होनेवाली वैचारिक क्रांतिके कारण हिंदुओंमें राष्ट्राभिमान एवं धर्माभिमान बढेगा तथा ‘हिंदु राष्ट्र’ स्थापित करनेके कार्यकी दिशामें गति मिलेगी । इस वैचारिक क्रांतिके लिए उद्युक्त होना पवित्र धर्मरक्षाका ही कार्य है । इसलिए यह कार्य करनेवाले व्यक्तियोंपर ईश्वरकी कृपा भी शीघ्र होगी ।

– (पू.) श्री. संदीप आलशी (२०.१२.२०१३)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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