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धर्मांध अकबरुद्दीन ओवैसी के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई की संभावना !

आज सभी दूरचित्रप्रणाल धर्मांधोंकी चापलूसी कर हिन्दुओंके विरुद्ध विषवमन कर रहे हैं। ऐसे समय हिन्दुओेंपर आनेवाली आपत्तियोंके विरोध में निर्भीकतापूर्वक नेतृत्व करनेवाले ‘सुदर्शन’ दूरचित्रप्रणाल के समान ही अन्य दूरचित्रप्रणालोंमें जागरूकता हो, यही समय की आवश्यकता है !

  • ‘सुदर्शन’ दूरचित्रप्रणाल की मालिका का परिणाम

  • धर्मांधोंके विरुद्ध नेतृत्व करनेवाले ‘सुदर्शन’ दूरचित्रप्रणाल का अभिनंदन !

भाग्यनगर : ‘एम्.आइ.एम्’ धर्मांध दल के नेता विधायक अकबरुद्दीन ओवैसीद्वारा वर्ष २०१२ में चेतावनी देनेवाला वक्तव्य देने के संदर्भ में केंद्रीय गृहमंत्रालय ने भाग्यनगर पुलिस से विस्तृत ब्यौरे की मांग की है। (इससे यही सिद्ध होता है कि केवल ब्यौरा की मांग करने के लिए ३ वर्ष विलंब करनेवाली प्रक्रिया हिन्दुओंको कभी भी न्याय प्रदान नहीं कर सकती है क्या ? इसीलिए हिन्दू हित के लिए अब हिन्दू राष्ट्र अनिवार्य है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) पुलिस ओवैसी के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के (रासुका के) अंतर्गत कार्रवाई करने की संभावना की जांच कर रही है। (इस संभावना की जांच इससे पूर्व ही क्यों नहीं की गई ? कछुए को भी लज्जा आए, इतनी मंद गति से कार्य करनेवाला शासन तथा पुलिस प्रदान करनेवाला जनतंत्र नहीं चाहिए, अपितु हिन्दू राष्ट्र ही चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

अकबरुद्दीन ओवैसी ने वर्ष २०१२ में आदिलाबाद जनपद के निर्मल गांव में एक भाषण में इस प्रकार का चेतावनी देनेवाला वक्तव्य दिया था कि ‘यदि पुलिस कर्मियोंको १५ मिनट के लिए हटाया गया, तो २५ प्रतिशत मुसलमान ७५ प्रतिशत हिन्दुओंको समाप्त कर देंगे।’ भाग्यनगर के पुलिस आयुक्त एम्. महिंदर रेड्डी ने पुलिस कर्मियोंकी विशेष शाखा को अकबरुद्दीन ओवैसी द्वारा दिए गए चेतावनीपूर्ण तथा द्वेषयुक्त वक्तव्य की जांच करने का आदेश दिया है। ओवैसी पर ‘राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८०’ की कौन सी धारा के अंतर्गत कार्रवाई करना संभव होगा, इसकी जांच की जाएगी।

पुलिस कर्मियोंकी विशेष शाखा इस वक्तव्य पर ध्यान केंद्रित करेगी; किंतु इस वक्तव्य के संदर्भ में स्थानीय पुलिस का यह मत है कि ओवैसी पर न्यायालय में याचिका आरंभ हुई है। ऐसा होते हुए भी उनपर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई करने से अशांति फैलाने का संकट उत्पन्न होने की संभावना है। (समाज में निरंतर अबाधित शांति बनाए रखना, यह पुलिस का कर्तव्य ही है। केवल अशांति का झूठा भय उत्पन्न कर कल पुलिस यह भी वक्तव्य करेगी कि किसी ‘हत्यारे को बंदी न बनाएं !’ ऐसे पुलिस कर्मियोंको सेवामुक्त करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

अकबरुद्दीन ओवैसीद्वारा किए गए द्वेषपूर्ण वक्तव्य के विरुद्ध ‘सुदर्शन’ दूरचित्रप्रणाल पर विशेष मालिका प्रसारित की गई थी। उसका परिणाम यह हुआ कि एक संसद सदस्य ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के पास यह विषय प्रस्तुत कर लगातार उसका पीछा किया; अतः गृह मंत्रालय को कार्रवाई करने हेतु बाध्य होना पडा। जनपदाधिकारी अथवा पुलिस आयुक्त को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत आदेश निर्गमित करने के अधिकार हैं। अतः वे संबंधित व्यक्ति को १२ मास के लिए कारागृह में बंदी बना सकते हैं। राज्यशासन को इस का ब्यौरा प्रदान करना बंधनकारक है। केंद्रशासन को भी इस अधिनियम के अनुसार कार्रवाई करने के अधिकार हैं।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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