रामनाथी – ‘जबतक किसी स्थानपर हिंदुओंपर हुए अत्याचारके विरोधमें देशभरके हिंदू रास्तेपर नहीं आते, तबतक हिंदुओंपर अत्याचार होते ही रहेंगे, यह हमें भली-भांति समझ लेना चाहिए । हिंदुओंकी मां-बहन, मठ, मंदिर, गोमाता, इन सभी श्रद्धास्थानोंकी रक्षा करना हिंदुओंका धर्मकर्तव्य ही है । उनपर कोई कुदृष्टि डालेगा, तो उन्हें सबक सिखाया जाएगा ।’ ऐसी गर्जना भाग्यनगर (आंध्रप्रदेश) के श्रीराम युवा सेनाके श्री. राजासिंह ठाकुरने की । वे अधिवेशनके तीसरे दिन ‘हिंदुत्ववादियोंका गलाघोंटना’ इस विषयपर बोल रहे थे ।
छत्रपति शिवाजी महाराजजीके मार्गके कारण धर्म-परिवर्तन पर सौ प्रतिशत पूर्ण विराम !
* अहिंदूओंके आक्रमणके लिए सफलतापूर्वक प्रतिकार करनेवाले एवं धर्मकार्यके लिए प्राणार्पणकी सिद्धता रखनेवाले अनेक कार्यकर्ता आज हमारे पास तैयार हैं ।
* भाग्यनगरमें ईसाई अधिकारियोंने हमारे कार्यकर्ताओं एवं उनके परिजनोंको दिनरात छला, परंतु कार्यकर्ताओंने अपने परिजनोंसे कहा, ‘धर्म-परिवर्तन रोकना, यह हमारा कर्तव्य ही है ।’ इस कारण इन कार्यकर्ताओंके परिजनोंको अब उनपर गर्व होता है ।
* हमने गांधीके मार्गके स्थानपर छत्रपति शिवाजी महाराजजीका मार्ग अपनाया है । इससे भाग्यनगर (आंध्रप्रदेश)में धर्म-परिवर्तन शतप्रतिशत थम गया है ।
ईश्वरही हमारी रक्षा कर रहा है, इसकी अनुभूति अनेक बार ली !
* रास्तेपर ही होनेवाली गोहत्या समाप्त करनेके लिए हमने कसाईयोंकी ही भाषा प्रयुक्त की है । इसके परिणामस्वरूप उनपर रोक लगी ।
* पुलिस हमारे संगठनके किसी भी कार्यक्रमको आसानीसे अनुमति नहीं देती है । पुलिसने हमें श्रीरामनवमीके उत्सवके लिए भी अनुमती नकार दी थी; परंतु तब भी हमारा उत्सव संपन्न हुआ । इसमें साढेतीन लाख हिंदू सहभागी हुए थे । यह सर्व करते समय इसकी अनेक बार अनुभूति ली है कि ‘ईश्वर ही हमारी रक्षा कर रहे हैं ।’
* इस कारण हिंदूसंगठन करते समय संघर्ष अटल है; परंतु इसके लिए हम अपने जीवनको दांवपर लगा देंगे ।
राजासिंह ठाकुर समान ५०० क्रियाशील हिंदू चाहिए ! – पू. नारायण प्रेमसाई
श्री. राजासिंह ठाकुरके वक्तव्यके उपरांत पू. नारायण प्रेमसाई उत्स्फूर्ततासे उठकर व्यासपीठपर आए । वे बोले, ‘श्री. राजासिंह ठाकुर समान केवल ५०० क्रियाशील हिंदू निर्माण हुए, तो देशमें हिंदू राष्ट्र निश्चितरूपसे आएगा ।’ |