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कर्नाटकमें ७७ सहस्र मंदिर सूचना अधिकार कानूनके नियंत्रणमें !

पौष कृष्ण ८, कलियुग वर्ष ५११५

धर्मांध मुसलमानोंसे बडा आघात कांग्रेस प्रशासन कर रहा है, यह ध्यानमें लेकर हिंदुओंको संगठित रूपसे कर्नाटक सरकारका विरोध करना चाहिए !

बेंगलुरू – कर्नाटक राज्यसरकारद्वारा ‘ब’ एवं ‘क’ वर्गके ७७ सहस्र मंदिर सूचना अधिकार कानूनकी कक्षामें लानेका  निर्णय लिया गया है । इस निर्णयसे उपर्युक्त सभी मंदिरोंको सूचना अधिकारीकी नियुक्ति करनी पडेगी तथा सूचना अधिकार कानूनके अंतर्गत यदि किसीने जानकारी मांगी, तो उन्हें देनी पडेगी । (राजनीतिक दल करोडों रुपयोंका दान स्वीकार करते हैं । इसमें ८० प्रतिशत दान काले धनके रूपमें होता है । केंद्रके प्रमुख सूचना आयोगके अनुसार ऐसा निर्णय दिया था कि सभी राजनीतिक दलोंको सूचना अधिकार कानूनके अंतर्गत जानकारी देना बंधनकारक है । इसके विरुद्ध सभी पक्ष एकत्रित आकर राजनीतिक पक्षको कानूनकी कक्षाके बाहर रखनेका प्रयास किया जा रहा है । दूसरी ओर हिंदुद्वेषी कांग्रेस सरकारद्वारा श्रद्धालुओंके  श्रद्धापूर्वक दिए दान कानूनके अंतर्गत लानेका प्रयास अर्थात हिंदु धर्मपर होनेवाला और एक आघात है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

उपर्युक्त ७७ सहस्र मंदिर सूचना अधिकार कानूनकी कक्षामें लानेसे सरकारको क्या लाभ होगा तथा क्या यही नियम अन्य धर्मियोंके प्रार्थनास्थलोंके लिए लागू होगा ये प्रश्न अनुत्तरित हैं । (ये प्रश्न सरकारद्वारा अनुत्तरित क्यों रखे गए हैं ? मंदिरोंके साथ चर्च एवं मस्जिदोंके लिए भी यही नियम है, ऐसा क्यों नहीं कहा जाता ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) इस कानूनके अंतर्गत मंदिरोंमें अब ‘पूजा किस प्रकार होती है ?, धार्मिक विधि किस प्रकार की जाती है ?, पुजारीकी नियुक्ति करनेके कौनसे नियम हैं ?,’  मंदिरकी आय एवं व्ययके अंकोंके विषयमें जानकारी देना आवश्यक सिद्ध होगा । (किसी धर्मद्वेषी अथवा धर्मांधद्वारा इस जानकारीका दुरुपयोग कर मंदिरके व्यवस्थापनको विवश कर अडचनमें लाकर पैसे लूटनेकी घटना होनेकी संभावना है । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) अबतक केवल कुक्के, कातील, सावदत्ति, येलम्मा जैसे ‘अ’ वर्ग  मंदिर सूचना अधिकार कानूनकी कक्षामें थे ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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