चैत्र शुक्लपक्ष त्रयोदशी, कलियुग वर्ष ५११७
कहां मंदिरोंका निर्माण, जतन एवं रक्षा करनेवाले राजा कृष्णदेवराय तथा छत्रपति शिवाजी महाराज समान पूर्व के राजे, तो कहां अस्तित्व में रहनेवाले मंदिरोंका जतन भी करने में अकार्यक्षम वर्तमान के राजनेता !
‘हिन्दू राष्ट्र’ में सभी मंदिरों का जतन एवं संवर्धन किया जाएगा। इसलिए ऐसी स्थिति कभी उत्पन्न ही नहीं होगी !
• बट वृक्ष के चबूतरे पर लोहे की सीढी होने से चबूतरे में पडी दरार
• काई के कारण पथरीली भूमि क्षीण
कोल्हापुर (महाराष्ट्र) : यहां के श्री महालक्ष्मी मंदिर का भारीपन धीरे-धीरे न्यून होने की बात ध्यान में आई है। इसके पीछे का कारण है, मंदिर के पथरीले निर्माण कार्य में पडी दरारोंके कारण उग आए झाडझंखाड, पथरीले चबूतरों में ही बैठाई हुई लोहे की सीढी तथा कुछ छोटे मंदिरोंके प्रवेशद्वारोंपर किया ऑइल पेंट। पुराणवास्तु के रूप में मंदिर के निर्माण कार्य के एक भी पत्थर की पकड ढीली न हो, इस लिए उपाय योजना करने की आवश्यकता है।
१. मंदिर का भारी हेमाडपंथी निर्माण कार्य भी खोदा जा रहा है। शिल्पाकृति की रचनाएं मलिन हो रही हैं।
२. कमान पर खोदा हुआ हाथी एवं खम्भे के कुछ भाग टूट गए हैं। पूर्व द्वार के अंदर के क्षेत्र में दर्शन पंक्ति के लिए बनाई गई लोहे कीसीढी सीधे बट वृक्ष के पथरीले चबूतरे पर ही लगाए जाने से उस में दरार पड गई है।
३. वर्तमान में पूर्व द्वार अंबाबाई मंदिर का प्रमुख दर्शनमार्ग बन गया है। इस प्रवेशद्वार से सटकर ही बाइं ओर के पथरीले चबूतरे पर लोहे की सीढी लगाई गई है, जिसे चबूतरे पर स्थायी रूप से बिठाया गया है। इसलिए इस पथरीले कटहरे में दरार पड गई है। नवरात्रि में इस सीढी पर एक ही समय न्यूनतम ३०० से ४०० भक्त खडे रहते हैं। अतः भविष्य में यह पथरीले कटहरे के क्षीण होने की पूरी-पूरी संभावना है।
४. मंदिर के पथरीले कमान के सामने में झाडझंखाड उत्पन्न हो गए हैं। उनके पूरी तरह बढ जाने से मंदिर की कमान क्षीण हो सकती है।
५. अंबाबाई मंदिर के राम के चबूतरे का पथरीला कटहरा ढहने पर उसके सुधार के लिए पुरातत्व विभाग की अनुमति का सूत्र सामने आया। अंबाबाई मंदिर हेरिटेज (पैत्रिक संपत्ति) होने के कारण पुरातत्व विभाग की अनुमति से ही उसका जीर्णोद्धार होगा, ऐसा देवस्थान व्यवस्थापन समिति ने बताया; परंतु ट्रस्ट ने देवस्थान समिति को ऐसा पत्र दिया है कि यह चबूतरा छत्रपति शाहू चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वामित्व में होने से इस कटहरे का जीर्णोद्धार ट्रस्टद्वारा किया जाएगा।
६. श्रद्धालुओंकी सुविधा के लिए पानी की व्यवस्था के स्थान पर पानी की निकासी भली-भांति न होने के कारण वहां काई जमने से पथरीली भूमि क्षीण हो गई है। (भक्तो, मंदिर की दुरावस्था को परिवर्तित करने हेतु आप ही दायित्व लें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात