हिंदू बहुसंख्यक हिंदुस्थानके हिंदुओंकी दुःस्थिति !

पौष कृष्ण ९ , कलियुग वर्ष ५११५

१. अपने ही देशमें दिनोंदिन अल्पसंख्यक होते हिंदू !

देशके विभाजनके समय मुसलमानोंकी संख्या ३ करोड एवं हिंदुओंकी संख्या ३५ करोड थी । परंतु तत्पश्चात मुसलमानोंकी संख्या लगभग ७ गुना अर्थात २२ करोड बढ गई; परंतु हिंदुओंकी संख्या केवल ढाई गुना अर्थात १०० करोड ही बढी ।
(समान नागरी कानूनके अभावके कारण भारतमें एक पत्नीवाले  हिंदुओंकी जनसंख्या न्यून हो रही है, जबकि मुसलमानोंको ४ पत्नी करनेका अधिकार दिए जानेके कारण उनकी जनसंख्यामें वृद्धि हो रही है । प्रतिवर्ष मुसलमानोंकी अनगिनत संख्या बढनेके कारण भारतमें हिंदू अल्पसंख्यक होनेका भय उत्पन्न हो गया है । यह मुसलमानोंद्वारा भारतका इस्लामीकरण करनेके षडयंत्रका ही एक भाग है एवं सत्ताका लालच करनेवाले स्वार्थांध राजनीतिक कार्यवाहियोंको सभी दृष्टियोंसे सहायता करने हेतु सुरक्षा, शासकीय सुविधा एवं धनका वितरण कर रहे हैं । इसलिए निद्रिस्त हिंदुओ, समय रहते ही सतर्क हों एवं संगठित होकर भारतका इस्लामीकरण करनेका दुष्ट षडयंत्र विफल करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

२. वर्ष १९४७ में जो मुसलमान शरणार्थी /निर्वासित जम्मू-कश्मीर छोडकर पाकिस्तान गए थे, उनको जम्मू-कश्मीर सरकार वापस आमंत्रित कर हिंदू बहसंख्यक क्षेत्रवाले जम्मू-कश्मीर घाटीमें उनका पुनर्वसन कर रही है । इसके विपरीत उस समय जो हिंदू शरणार्थी पाकिस्तानसे जम्मू-कश्मीरमें आए हैं, उनको आजतक विधानसभाके चुनावमें निर्वाचनका अधिकार भी नहीं दिया गया है । ऐसा क्यों ?
(केवल १९४७ के शरणार्थी मुसलमानोंको ही नहीं, अपितु पाकिस्तानमें आतंकवादका प्रशिक्षण लेने गए जिहादियोंके लिए भी जम्मू-कश्मीर सरकार सब सुविधाओंकी पूर्ति कर रही है । इतनाही नहीं, अपितु केंद्रसरकारकी कृपासे उनके लिए नए कानून, उदा. ‘पॉलिसी एंड प्रोसिजर फॉर रिटर्न ऑफ एक्स-मिलिटेंट्स ऑफ जम्मू एंड कश्मीर स्टेट’ नामसे एक आदेश निकालकर उन्हें सम्मानके साथ भारत लाया जा रहा है; परंतु हिंदुओंको निद्रिस्त रखनेमें धन्य माननेवाले प्रसार माध्यम ये वार्ता लोगोंतक पहुंचने नहीं देते । यदि किसी कारण ये वार्ताएं जनतातक पहुंचीं, तो भी ‘मैं और मेरा परिवार’ इतने ही विश्वमें रहनेवाले स्वान्तसुखाय हिंदुओंको उनपर ध्यान देनेकी इच्छा भी नहीं होती । हिंदुओ, आग आपके घरतक पहुंच चुकी है । आंखें खोलकर देखें एवं आंच आनेसे पूर्व ही उसे बुझानेका प्रयास करें, अन्यथा ध्यानमें रखें कि आपकी स्थिति कश्मीरसे पलायन करनेवाले कश्मीरी पंडितोंके समान होगी ।- संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

३. हिंदुओंकी शिक्षासंस्थाओंमें हिंदुओंको धर्मशिक्षा देनेपर प्रतिबंध लगाया गया है; परंतु हिंदू छोडकर अन्य लोगोंकी शिक्षा संस्थाओंमें उनकी धर्मशिक्षापर प्रतिबंध नहीं लगाया जाता । इसके विपरीत उनको सरकारद्वारा अनावश्यक प्रोत्साहन दिया जा रहा है ।

(मदरसोंपर अनुदानके नामपर जनताके लाखों करोडों रुपए व्यय करनेवाली एवं हिंदुओंके कष्टसे प्राप्त धन तथा मंदिरोंका अर्पण मुसलमानोंपर व्यय करनेवाली हिंदुद्रोही सरकार आपके लिए कुछ करेगी, ऐसी अपेक्षा रखना चूक सिद्ध होगा । यदि हिंदुओंको धर्मशिक्षा दी गई, तो वे एकत्रित होंगे तथा संगठित हिंदू अधर्मी राजनेताओंके लिए कठिन सिद्ध होंगे । इस विचारसे ही हिंदुओंको धर्मशिक्षा देनेसे वंचित रखा गया है । सत्ताके लिए कुछ भी न करनेवाले राजनीतिज्ञ मेकॉलेकी ही नीति अपना रहे हैं । इसीलिए हिंदुओ, सनातन संस्थाके धर्मशिक्षावर्गमें सम्मिलित हों ! स्वयं धर्माचरण कर अन्य लोगोंको इसे करनेके लिए प्रेरित करें एवं देव, देश तथा धर्मकी रक्षा करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
(संदर्भ : मासिक आर्य विचार, सितंबर २०१३)

स्त्रोत :  दैनिक सनातन प्रभात

Leave a Comment

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​