पौष कृष्ण ९, कलियुग वर्ष ५११५
भारतीय नागरिकता देनेकी मांग ।
देहली – पाक स्थित मुसलमानोंद्वारा दी जानेवाली नरकयातनाओंसे तंग आकर भारत आए शरणार्थी पाकिस्तानी हिंदुओंने जंतरमंतरमें २० दिसंबरसे आंदोलन प्रारंभ किया है । इस आंदोलनका नेतृत्व पाकसे आए शरणार्थी हिंदुओंको आश्रय देनेवाले श्री. नाहर सिंह कर रहे हैं । इस आंदोलनमें शरणार्थी हिंदुओंको भारतकी नागरिकता प्राप्त हो, इस प्रमुख मांगके साथ शरणार्थीयोंको भारतमें रहनेकी अनुमति प्राप्त हो, रहने हेतु स्थायी रूपसे भूमि प्राप्त हो तथा जीविका एवं छोटे बच्चोंकी शिक्षाकी व्यवस्था हो, भारत प्रशासनसे ऐसी मांगें की गई हैं । जबतक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, तबतक हम आंदोलन आरंभ ही रखेंगे, उन्होंने प्रशासनको ऐसी चेतावनी दी है । जंतरमंतरमें ४० हिंदू आंदोलन कर रहे हैं ।
भारतमें प्रवेश करते समय भारतीय अधिकारियोंद्वारा शरणार्थी हिंदू महिलाओंके अलंकार हडप लिए गए !
आंदोलनमें सम्मिलित शरणार्थी हिंदू श्री. किशनमलने कहा, जब हम राजस्थान स्थित बाडमेर जिलेके मुन्नाबाओ सीमासे भारतीय सीमामें प्रवेश कर रहे थे, उस समय वहांके भारतीय अधिकारियोंद्वारा भारतमें प्रवेश करने हेतु २५ लाख रुपयोंकी घूस मांगी गई । इतनी राशि देना संभव न होनेसे उन अधिकारियोंने बलपूर्वक हिंदू महिलाओंके लाखों रुपयोंके अलंकार रख लिए । उनसे इन अलंकारोंकी मांग करनेपर, उन्होंने हमारे विरुद्ध चोरीका अपराध प्रविष्ट किया । यह हमारे साथ अन्याय है । ये अलंकार पुन: प्राप्त हों, आंदोलनमें सम्मिलित महिलाओंने ऐसी मांग की है ।
श्री. किशनमलने आगे कहा कि हम हमारा सर्वस्व छोडकर, भूमि, घर कौडीके दाम मुसलमानोंको बेचकर भारत आए हैं । एक हिंदूने उसकी गाडी एवं २ कोटि रुपयोंकी भूमि केवल ४० सहस्र रुपयोंमें बेची है । क्योंकि हमें हमारी पत्नी एवं बच्चोंकी चिंता है । भारतकी सीमामें आनेके पश्चात हमने भारतीय सीमाका चुंबन लिया; किंतु यहां भी हमें संकटोंका सामना करना पड रहा है । पाकिस्तानमें पायी जानेवाली नरकयातनाओंसे इन कठिनाइयोंका सामना करना आसान है । भारतसे हमारी बडी अपेक्षाएं हैं ।
हिंदू जनजागृति समितिके कार्यकर्ता श्री. दैवेश रेडकर आंदोलनके स्थानपर गए थे, उस समय वहां एक बलाढ्य हिंदुत्ववादी संगठनके एक कार्यकर्ता आए थे । उन्होंने कहा, भाजपा तथा बडे हिंदुत्ववादी संगठनोंको इस संदर्भमें कुछ कृत्य करने चाहिए । इसपर श्री. दैवेशने उनसे पूछा कि क्या आपका संगठन इन हिंदुओं हेतु कुछ कर सकेगा ? तो उन्होंने कहा, स्थानीय स्तरपर हम कुछ भी नहीं कर सकते । इस हेतु ऊपरसे आदेश लेना पडता है ।
भारत स्थित मुसलमान तथा पाक स्थित हिंदुओंकी स्थितिकी तुलना स्वयंको निधर्मी कहलानेवाले बुदि्धवादी क्या कभी करेंगे ?
आंदोलनमें सम्मिलित हिंदुओंद्वारा बताई गई पाक स्थित हिंदुओंकी स्थिति
१. पाक स्थित हिंदुओंके अधिकतर बच्चे ५ वीं कक्षाके आगे शिक्षा ले ही नहीं सकते; क्योंकि हिंदुओंको शिक्षामें भी दुय्यम स्थान दिया जाता है । यदि शिक्षा लेनी है, तो उन्हें कुरानसे कलमा पढाया जाता है ।
२. कुछ हिंदुओंने स्नातकतक शिक्षा प्राप्त की है; किंतु उन्हें प्रशासकीय नौकरी नहीं दी जाती ।
३. हिंदू युवतियोंको दिनदहाडे उठाकर भगाया जाता है । एक बार तीन हिंदू लडकियोंको भगाया जा रहा था । तब उन्हें प्रथम इस्लामाबादमें, उसके पश्चात कराचीमें बंद करके रखा गया । उन युवतियोंके साथ इस्लाम स्वीकारनेकी जबरदस्ती की गई । उनमेंसे एकने छलसे उकताकर आत्महत्या की, दूसरीने विवशतासे मुसलमान धर्मको स्वीकार किया, तीसरी युवतीका क्या हुआ, यह अबतक पता नहीं चला ।
४. जब छोटे बच्चे कि्रकेट खेलते हैं, तब यदि हिदुओंने चौका मारा अथवा उसका आनंद व्यक्त किया, तो भी मुसलमान उन्हें मारते हैं । पाकिस्तान कि्रकेट दलका एकमात्र हिंदू खिलाडी दानिश कनेरियाको भी धनका भ्रष्टाचार करनेका झूठा आरोप लगाकर उसे दलसे बाहर निकाल दिया गया है ।
५. हिंदुओंको धर्मांतरित करनेसे तुम्हें ‘जन्नत’ प्राप्त होगी, वहांके मुसलमानोंके मनमें ऐसा अंकित किया गया है । अत: वहांके हिंदुओंका बलपूर्वक धर्मांतरण किया जाता है ।
६. भारत आने हेतु कुछ हिंदू विजा बनाते हैं, तब उनके परिवारसे कुछ सदस्योंका विशेषत: महिलाओंका विजा निरस्त किया जाता है । परिणामस्वरूप महिलाओंको वहां छोड कर आना संभव न होनेसे वह हिंदू परिवार वहीं रह जाता है ।
७. भारत आने हेतु विजा बनानेमें पाकिस्तानके अधिकारी सहायता नहीं करते, तथा भारतसे भी सहायता प्राप्त नहीं होती ।
भारत स्थित ही नहीं, अपितु पाक स्थित हिंदुओंको भी कष्ट देनेवाले हिंदुद्वेषी कांग्रेसी शासनकर्ता !
शरणार्थी हिंदुओंके भारत आनेपर उनकेद्वारा उठानेवाले कष्ट
१. इन हिदुओंमेंसे कुछने फरीदाबाद स्थित एक आस्थापनमें नौकरी करनेका प्रयास किया; किंतु कुछ दिनों पश्चात अपराध विभागके अधिकारियोंने उन्हें बुलाकर पुन: देहली जानेको कहा । क्योंकि उनके विजामें फरीदाबाद जानेका निर्देश नहीं था ।
२. उनके विजाकी कालावधि समाप्त हो गई है । अत: कार्यवाहीके नामपर पुलिस उनसे छल कर रही है ।
३. अभीतक उनके रहनेकी व्यवस्था नहीं हुई । अत: ढाई माहसे वे इधर-उधर कभी पदपथपर सो कर दिन काट रहे हैं ।
४. आंदोलनके समय रातके निवास हेतु जंतर मंतरके निकट एक बडे तथा प्रसिद्ध गुरुद्वारामें उनके खाने तथा रहनेकी व्यवस्था की गई थी; किंतु वहांके प्रमुखने उनकी सहायता नहीं की । एक रात उन्हें रहनेकी अनुमति दी गई; किंतु दूसरे दिन सुबह उन्हें रहनेकी अनुमति नहीं दी गई ।
५. शरणार्थी हिंदुओंके आंदोलनकी ओर अभी तक प्रशासन अथवा प्रशासकीय अधिकारीने ध्यान नहीं दिया । बलाढ्य हिंदुत्ववादी संगठनोंने भी अभीतक ठीकसे सहायता नहीं की । श्री. किशनमलने कहा, सारे आते हैं तथा केवल बोलते हैं; किंतु हमारी समस्या सुलझाने हेतु कोई भी प्रत्यक्ष रूपसे हमारी सहायता नहीं करता ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात