नैरोबी – उत्तर-पूर्वी केन्या के गैरिसा यूनिवर्सिटी परिसर में सोमालिया के कुख्यात आतंकवादी संगठन अल शबाब द्वारा किए गए हमले के आरोप में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह जानकारी सीएनएन टीवी चैनल ने दी। यूनिवर्सिटी में गुरुवार तड़के आतंकियों ने हमला करके १४७ ईसाई स्टूडेंट्स को मार डाला, जबकि ८० से ज्यादा घायल हो गए। हमले में मारे गए लोगों के शव शुक्रवार को भी यूनिवर्सिटी ग्राउंड में पड़े हुए थे। सेंट जॉन एम्बुलेंस सर्विस के कर्मचारी ने बताया कि स्टूडेंट्स को पीछे से सिर में गोली मारी गई थी। घटना का इतना आतंक है कि यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स एयरपोर्ट पर इकट्ठा हो गए हैं और अपने होमटाऊन जाना चाहते हैं। शिक्षा मंत्रालय ने भी यहां स्कूलों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया है। मोहम्मद कूनो को इस हमले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। सोमालिया में कूनो को अति कट्टरवादी व्यक्ति को तौर पर पहचाना जाता है। वह सोमालिया के दक्षिणी जुबालैंड रीजन में आतंकी संगठन अल-शबाब का काम देखता है। अल-शबाब से लड़ने वाले केन्याई सैनिकों और केन्या में नागरिकों पर हुए कई हमलों के पीछे उसका ही हाथ है।
१.३३ करोड़ रुपए का इनाम
जानकारी के मुताबिक, कूनो गैरीसा के नजाह स्थित एक मदरसे में हेडमास्टर रह चुका है। वह आदिवासी समुदाय ‘कूनो’ से आता है। उस पर पहले से ही १.३३ करोड़ रुपए का इनाम घोषित है। उसे कई फर्जी नामों से जाना जाता है, जिसमें मोहम्मद दुल्यादिन सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। सोमाली भाषा में इसका मतलब होता है ‘कपटी’। इसके अलावा उसके शेख मोहम्मद और गमाधेरे नाम से भी जाना जाता है। कूनो की उम्र के बारे में कोई जानकारी नहीं है। सुरक्षा एजेंसियां उसे ३० से ४० साल की उम्र का बताती हैं। गैरीसा और सोमालिया में उसकी तीन बीवियां और बच्चे रहते हैं।
परिवार वालों को भी बनाता है लड़ाका
२००७ तक केन्या के एक मदरसे का हेडमास्टर रहने के बाद कूनो सीमा पार कर सोमालिया चला गया। वहां सोमालियाई इस्लामिस्ट ग्रुप यूनियन ऑफ इस्लामिक कोर्ट्स (यूआईसी) में शामिल हो गया। यूआईसी के टूटने के बाद वह आतंकी संगठन ‘हिज्बुल इस्लाम’ का सदस्य बन गया। २०१० में इस आतंकी समूह का अल-शबाब में विलय हो गया। कूनो मदरसे के छात्रों के अलावा अपने परिवार के सदस्यों को भी लड़ाके के रूप में भर्ती करता था। उसे केन्या के दादाब रिफ्यूजी कैम्प में एक बड़ा आतंकवादी नेटवर्क खड़ा करने के लिए भी जाना जाता है।
केन्या से पुरानी रंजिश अल-शबाब की
- २०११ में केन्या डिफेंस फोर्सेज ने सोमालिया स्थित अल-शबाब के अड्डे पर हमला किया, जिसके बाद बाद केन्या में अल-शबाब का खूनी खेल शुरू हो गया। आतंकी संगठन ने केन्या की धरती पर केन्याई लोगों का नरसंहार शुरू कर दिया। गुरुवार को गैरीसा यूनिवर्सिटी पर हमले से पहले दिसंबर २०१४ में संगठन ने सोमाली सीमा पर रेड क्रॉस वर्कर के रूप में काम कर रहे ईसाई मजदूरों को निशाना बनाया था। इसमें ३६ लोगों को गोली मार दी गई, जबकि मुस्लिम मजदूरों को छोड़ दिया गया।
- नवंबर २०१४ में अल-शबाब के बंदूकधारियों ने केन्या के उत्तरी इलाके में एक बस को रुकवा कर यात्रियों को कुरान पढ़ने या मरने के लिए तैयार रहने को कहा। कुरान पढ़ने में नाकाम रहे २८ यात्रियों को गोलियों से भून दिया।
- जुलाई २०१४ में अल-शबाब के आतंकियों ने मशहूर टूरिस्ट स्पॉट लामू कोस्ट के एक पुलिस स्टेशन पर अंधाधुंध फायरिंग की। इसमें २२ की मौत हो गई। तब अमेरिका और ब्रिटेन के पर्यटकों ने देश छोड़ दिया था।
- सितंबर २०१३ में नैराेबी स्थित वेस्टगेट मॉल पर हुए हमले को केन्या के इतिहास में सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जाता है। आतंकियों ने चार दिनों तक मॉल में कई विदेशी नागरिकों को बंदी बना कर रखा था। इसमें ६१ लोगों की मौत हो गई। अल-शबाब ने कहा था कि केन्याई सेना द्वारा अफ्रीका यूनियन मिलिट्री ऑपरेशन में हिस्सा लेने के कारण यह हमला किया गया।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर