वैशाख कृष्णपक्ष द्वितीया , कलियुग वर्ष ५११७
हिन्दुओ, मंदिर सरकारीकरण के दुष्परिणाम पहचानें तथा भाजपा शासन को मंदिर भक्तोंके अधिकार में देने के लिए विवश करें !
शिर्डी (महाराष्ट्र) : यहां के साई संस्थान के कोषागार से राज्य शासन ने १ सहस्र १२९ करोड ४७ लक्ष रुपए की त्वरित मांग की है। साथ ही संस्थान को उस प्रकार के आदेश भी दिए हैं। वर्तमान में साई संस्थान के कोषागार में नगद १ सहस्र २०० करोड रुपए तथा अन्य अचल संपत्ति कुल मिलाकार १ सहस्र ५०० करोड रुपए से अधिक है।
यदि शासन की मांग के अनुसार निधि दी गई, तो साई संस्थान के आर्थिक संकट में आने की संभावना है। अतः श्रद्धालुओंद्वारा यह मांग की गई है कि शासन को किसी भी प्रकार की निधि प्रदान न करें। (समस्त हिन्दुओंकी यही अपेक्षा है कि शासन को हिन्दुओंद्वारा भक्तिभाव से अर्पण किए गए धन का विनियोग उचित पद्धति से करना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
नाशिक के सिंहस्थपर्व की पार्श्वभूमिपर शिर्डी में भी लक्षावधि श्रद्धालु दर्शन हेतु आते हैं। अतः उनकी सुविधाओंके लिए केंद्र तथा राज्य शासन को अधिक निधि प्रदान करना आवश्यक है; किंतु ऐसा होते हुए भी प्रत्यक्ष में यह दिखाई नहीं देता है। साई संस्थानद्वारा होनेवाला अनावश्यक आर्थिक व्यय रोकने हेतु न्यासी मंडल विसर्जित कर नगर जनपद प्रधान न्यायाधीशोंकी अध्यक्षता में त्रिसदस्यीय समिति की नियुक्ति की गई थी; परंतु उसके लिए भी यह अनावश्यक व्यय रोकना असंभव है।
सूचना अधिकार कार्यकर्ता संजय काळे ने बताया कि शासन को निधि प्रदान न करें, इस के लिए हम शीघ्र ही उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट करेंगे। (याचिका प्रविष्ट करते समय अबतक उपलब्ध कराई गई निधि का भी हिसाब मांगना चाहिए, तभी तो उसके पीछे की वास्तविकता सब के सामने आएगी। – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
संस्थानद्वारा इस से पूर्व शासन को की गई सहायता
अभियान : रुपए
१. निळवंडे धरण के कालवा निर्माण कार्य : ५०० करोड
२. शिर्डी हवाई अड्डा : ५० करोड
३. प्रत्येक जनपद के अकाल निवारण हेतु : ३५ करोड
४. जलशिवार योजना : ३४ करोड
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात