पौष कृष्ण ९, कलियुग वर्ष ५११५
|
इंदौर – तीन विदेशी जोड़ों ने बुधवार को हिंदू रीति-रिवाजों और रस्मों के साथ विवाह किया। ये जोड़े भारतीय परिधानों में सजे-धजे आए। दूल्हों ने शेरवानी पहनी और साफा बांधा। उस पर कलगी-तुर्रा और चंदन का तिलक लगाया। दुल्हनें लाल साड़ी में मेहंदी लगाए मंडप में आईं। सात फेरे लिए गए, श्लोक पढ़े गए और साथ ही उनका अंग्रेजी में अनुवाद भी पढ़ा गया। यह अनोखा विवाह समारोह हुआ लिम्बोदी (खंडवा रोड) स्थित परमानंद आश्रम में।
इसके पहले बाकायदा बैंड-बाजों के साथ घोड़ी पर बैठकर दूल्हों के साथ बारात निकाली गई। और जैसा कि इस मौके पर होता है-शहनाई भी गूंजी और गीत भी बजाए गए। आज मेरे यार की शादी है से लेकर ये देश है वीर जवानों का जैसे गीत गूंजे। और जब दूल्हे मंडल में पहुंचे तो गीत बजाया गया-बहारों फूल बरसाओ, मेरा महबूब आया है। मंडप में सात फेरे लिए गए, मांग भरी गई और वरमाला पहनाई गई। महापौर कृष्णमुरारी मोघे और मौजूद मेहमानों ने विदेशी कन्याओं का कन्यादान किया।
मैक्सिको की मारिया फ्लांडेज कैस्टिलो ने मैक्सिको के ही डेमियन उगाल्डे को वरमाला पहनाई तो इंग्लैंड की लूसी हॉवेल ने आयरलैंड के डर्मोट ग्रीन को वरमाला पहनाई। स्पेन की मेंचू हर्नाडेज ने इंग्लैंड के ओलिवर एलिस को वरमाला पहनाई। यानी चार देशों के तीन विदेशी जोड़े विवाह सूत्र में बंधे। यह मांगलिक कार्य संपन्न हुआ आश्रम के स्वामी परमानंदगिरी जी महाराज के मार्गदर्शन में।
इंदौर के लोगों का बहुत प्यार मिला
विवाह की रस्म पूरी होने के बाद तीनों जोड़े ने शहर से मिले स्नेह के प्रति कृतज्ञता जताई और यह भी कहा कि यह उनके जीवन के अनमोल पल हैं और हम भारतीय संस्कृति से बहुत गहरे प्रभावित हुए हैं। स्वामी परमानंदगिरीजी महाराज ने कहा कि विवाह बंधन नहीं मोक्ष का मार्ग है। इस मौके पर हिंदू यूनिवर्सिटी अमेरिका से योग में डाक्टरेट करने वाली डॉ. प्रतिभा बंसल और अहमदाबाद की भावना दवे का समान भी किया गया। अतिथियों ने नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद और तोहफे भेंट किए।
भारतीय वैवाहिक जीवन से प्रभावित होकर की शादी
वस्तुत: ये जोड़े परमानंद इंस्टिट्यूट ऑफ योगा साइंसेज एंड रिचर्स सेंटर में योग सीखने आए थे। यहां योग सीखने के साथ ही उन्हें भारतीय संस्कृति, रीति-रिवाजों, वार-त्योहारों से भी परिचय कराया जाता था। इसी दौरान इन विदेशियों का भारतीय वैवाहिक जीवन से भी आत्मीय परिचय हुआ। इसी से प्रभावित होकर इन विदेशी युवक-युवतियों निर्णय लिया कि वे भारतीय रीति-रिवाज से ही विवाह करेंगे। इसके पहले उनका भारतीय नामकरण संस्कार भी किया गया। १५७ देशों में समारोह का सीधा प्रसारण भी किया गया।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर