१. हिंदुओंने हम हिंदू क्यों हैं, यह ध्यान रखना चाहिए ! – कर्नल डी.के. कपूर
कर्नल डी.के. कपूरने ‘हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंका राजनीतिक दृष्टिकोन कैसा होना चाहिए’ इस चर्चाके ब्यौरेमें बताया कि, हिंदुओंको हिंदुओंके हितोंको ध्यानमें रखकर कृत्य करनेवाले प्रत्याशीको ही चुनना चाहिए । इसके लिए स्थानीय पक्षों तथा नेताओंको वैसी कल्पना स्पष्ट रूपसे देनी चाहिए । योग्य प्रत्याशी नहीं मिल रहा हो, तो प्रसंगवश हिंदू संगठनोंको अपना प्रत्याशी खडा करना चाहिए । हिंदूहितका निर्णय लेते हुए वैधानिक मार्गसे राजनेताओंपर दबाव डालना चाहिए ।
औरंगजेब जैसे मुगल शासकके दबावकी बली न चढनेके कारण अपने पूर्वज हिंदू बने रहे तथा इस कारण हमारा जन्म भी हिंदू कुल हुआ, यह हिंदुओंको सदैव स्मरण रखना चाहिए । इस कारण हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाके लिए हमें संगठित होना चाहिए तथा ऐसा राजनीतिक दृष्टिकोण रखना चाहिए ।’
२. अफझलखानवधके चित्रवाले पदक बनाएं ! – दुर्गेश परुळकर, हिंदू महासभा
‘इतिहासका विकृतिकरण रोकने’के संदर्भमें चर्चाका ब्यौरा देते हुए हिंदू महासभाके श्री. दुर्गेश परुळकर बोले कि, आजके विद्यार्थियोंके मन पर इतिहासका महत्त्व अंकित करना चाहिए । असत्य इतिहास परिवर्तित कर नया इतिहास लिखना चाहिए । अध्यापक, महाविद्यालयके विद्यार्थियोंके लिए कार्यशालाओंका आयोजन करना चाहिए । राष्ट्रपुरुषोंके चित्रोंकी प्रदर्शनी लगाना चाहिए । ‘एनसीईआरटी’ जैसे हिंदूद्वेषी इतिहास सिखानेवालोंके विरोधमें आंदोलन करना चाहिए । अफझलखानवधके चित्रपर शासनने अघोषित प्रतिबंध लगाया है; परंतु शिवाजी महाराजके पराक्रमका इतिहास हमें जागृत रखना चाहिए । इसके लिए अफझलखानवधके चित्रवाले पदक बनाकर कुरतेकी थैलीपर लगानेके लिए उसका उपयोग करना चाहिए ।
३. धर्मशिक्षासे ही धर्मपरिवर्तन रोकना संभव ! – गुरुराज प्रभू, हिंदू जनजागृति समिति
‘धर्मपरिवर्तन रोकनेके संदर्भमें उपाययोजना’ इस विषयपर गुटचर्चाका ब्यौरा प्रस्तुत करते हुए हिंदू जनजागृति समितिके श्री. गुरुराज प्रभू बोले कि, हिंदू जब स्वयं धर्मशिक्षा ग्रहण करेंगे, तब ही धर्मपरिवर्तन रोकना संभव होगा । हिंदुओंको स्वधर्मका अभ्यास करना चाहिए, अन्य पंथोंके धर्मग्रंथोंकी अयोग्य बातोंकी जानकारी स्वयं समझकर अन्योंको बतानी चाहिए । स्वयं धर्माचरण कर अन्योंसे भी करवाना चाहिए । हिंदुओंके भगवान किस प्रकार श्रेष्ठ हैं यह सर्वत्र बताना चाहिए । अहिंदुओंद्वारा हिंदू धर्मपर की जानेवाली आलोचनाओंका खंडन करना चाहिए । पश्चिमी पद्धतिके ‘३१ दिसंबर’,‘वैलेंटाईन डे’का बहिष्कार करना चाहिए ।