झुंझूनू (राजस्थान) : झुंझूनू, राजस्थान के श्री अरविंद आश्रम के मार्गदर्शक श्री. चंद्रप्रकाश खेतानद्वारा यह गौरवोद्गार व्यक्त किए गए कि, ‘धर्मकार्य हेतु साधना करना अत्यावश्यक है। हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ताएं अपनी साधना समझ कर हिन्दू धर्म की सेवा कर रहे हैं, यह देखकर आनंद हुआ। प्रत्यक्ष में हम दोनोंका कार्य समान ही है। यह मान लीजिए कि, हमारे सर्व आश्रम आप के ही हैं। ईश्वर ने ही इन्हें आप के लिए हमारे माध्यम से निर्माणकार्य किया है।’
हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने हालही में इस आश्रम को भ्रमण किया। उस समय आश्रम की व्यवस्थापिका भानु पटेल भी उपस्थित थी। श्री. खेतान ने आगे यह वक्तव्य किया कि, ‘इसके पश्चात् आप कभी भी यहां आएंगे, तो आश्रम में ही निवास करने के लिए आइएं। वर्तमान में मानव की विचारधारा में परिवर्तन लाना, अत्यंत कठीन हुआ है। उसे अध्यात्म की ओर ले जाना, यही इस समस्यापर उत्तम उपाय है एवं आप वहीं कार्य कर रहे हैं। अतः मुझे यह संस्था अपनी प्रतीत होती है।’
क्षणिकाएं
१. सनातन संस्था द्वारा धर्मशास्त्र पर प्रकाशित किए गए ग्रंथों का पूरा संच श्री. खेतान ने खरीद लिया।
२. श्री अरविंद आश्रम के कुछ साधकों को रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम का कार्य देखने के लिए भेजने की सिद्धता श्री. खेतान द्वारा व्यक्त की गई।
३. उन्होंने हरिद्वार तथा जयपुर के उनके परिचितोंकी सूचि श्री. रमेश शिंदे को देकर उन व्यक्तिओं को संपर्क करने के लिए बताया।
४. धर्माभिमानी हिंदुओंके लिए श्री. रमेश शिंदे के कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। उस समय श्री. खेतान ने उनके आश्रम के साधकोंको इस कार्यक्रम की सिद्धता करने के लिए भेजा।
श्री. चंद्रप्रकाश खेतान का परिचय सारांश में
श्री. चंद्रप्रकाश वर्ष १९७७ में राजस्थान विद्यालय में अध्यापक का कार्य कर रहे थे। तत्पश्चात् उन्होंने बैंकिग पद्धत इस विषय में पीएचडी की तथा वे कनाडा गए। उनकी साधना की लगन ही उन्हें पुनः भारत में लेकर आई तथा वे श्री अरविंद आश्रम के संपर्क में आए। वर्तमान में वे झुंझूनू (राजस्थान) के श्री अरविंद आश्रम में मार्गदर्शक की सेवा कर रहे हैं। इस आश्रमद्वारा होमिओपॅथी, आयुर्वेदीय चिकित्सालय विनामूल्य चलाया जाता है। छात्रदशा में भी बालकोंको अध्यात्म की पहचान करने की दृष्टि से वहां गुरुकुल के समान पाठशाला का कार्य किया जाता है। उस स्थान पर छात्रोंको किसी भी व्यावहारिक पदवी की अपेक्षा आध्यात्मिक उन्नती की दृष्टि से शिक्षा दी जाती है। वर्तमान में इस पाठशाला में २० छात्र पढ रहे हैं। इन छात्रोंको उनका दैंनदिन कार्य स्वयं करने की आदत हो, इस दृष्टि से आश्रम से संबंधित सेवा भी उन्हें सीखाई जाती है।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात