पौष कृष्ण १ ०, कलियुग वर्ष ५११५
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नई दिल्ली : गुजरात दंगों पर कोर्ट से बड़ी राहत मिलने के एक दिन बाद बीजेपी के पीएम कैंडिडेट और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्लॉग लिखकर पहली बार यह बताया है कि दंगों के दौरान वह किस पीड़ा से गुजरे थे। उस दौरान वह कैसा महसूस कर रहे थे और कैसे राज्य की बेकसूर जनता की तकलीफों का अंत कर उसे इंसाफ दिलाने में जी-जान से लगे हुए थे।
मैं अंदर तक हिल गया थाः मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा है, 'प्रकृति का नियम है कि सत्य की ही जीत होती है। कोर्ट के इस फैसले के बाद मुझे २००१ के उस भयावह भूकंप की यादें ताजा हो आई हैं, जिसमें गुजरात को मौत, विनाश और बेबसी के कगार पर पहुंचा दिया था। हजारों जानें चली गई थीं। लाखों बेघर हो गए थे। इस मुश्किल वक्त में मुझे राज्य की जिम्मेदारी मिली। इसके करीब पांच महीने बाद ही २००२ में हुए दंगे हमारे लिए दूसरा बड़ा झटका था। निर्दोष मारे गए। कई परिवार असहाय हो गए। सालों की जमा-पूंजी मिनटों मे तबाह हो गई। प्रकृति की मार से उबरते राज्य के लिए यह दूसरी बड़ी त्रासदी थी। मैं इससे अंदर तक हिल गया था।
मोदी ने आगे लिखा है, 'इस अमानवीयता को व्यक्त करने के लिए शोक, दुख, दुर्भाग्य, पीड़ा, संताप, यातना जैसे शब्द भी कम हैं। एक तरफ भूकंप पीड़ितों का दर्द था तो दूसरी तरफ दंगा पीड़ितों की पीड़ा। यह मेरे लिए बड़ा कठिन वक्त था। मैंने अपनी पीड़ा को दबाकर अपनी पूरी शक्ति शांति, न्याय और पुनर्वास के कामों में लगा दी।'
किसी के जीवन में ऐसा समय न आएः मोदी ने लिख है, 'उस चुनौतीपूर्ण समय में शास्त्रों से प्रेरणा लेता था, जिसमें बताया गया है कि सत्ता में बैठे लोगों को अपनी निजी पीड़ा व्यक्त करने का अधिकार नहीं है। उन्हें सबकुछ अकेले ही सहना होता है। मैं उस दौरान उसी पीड़ा से गुजरा। यहां तक कि जब भी मैं उन दिनों को याद करता हूं तो प्रार्थना करता हूं कि किसी भी व्यक्ति, समाज, राज्य और देश के जीवन में ऐसा क्रूर और दुर्भाग्यपूर्ण समय न आए।'
मुझे मेरे गुजरातियों का हत्यारा बताया गयाः मोदी ने अपने ब्लॉग में निजी और राजनीतिक स्वार्थों के चलते उन पर हमला करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने लिखा है, 'लेकिन यह दुख ही जैसे कम नहीं था, मुझ पर मेरे प्रिय गुजराती भाई-बहनों की हत्या का आरोप भी लगाया गया। जिस घटना ने आपको तोड़ दिया हो उसका इल्जाम आप पर लगा दिए जाने पर क्या गुजरती है, आप इसकी कल्पना कर सकते हैं। सालों से वे मुझपर हमले करते रहे, जबकि मैंने कभी भी पलटकर जवाब नहीं दिया। इस बात की पीड़ा ज्यादा है कि वे अपनी राजनीतिक और व्यक्तिगत कारणों से मुझ पर हमले करते रहे और मेरे प्रदेश और देश तक को बदनाम किया गया।
मोदी ने अपने इस ब्लॉग में गुजरात दंगों की पीड़ा का जिक्र तो किया है, लेकिन कहीं भी इसके लिए माफी नहीं मांगी है। उन्होंने अदालत के फैसले को सत्य और भाईचारे की जीत बताते हुए लिखा कि वह इस फैसले के बाद 'मुक्त और शांत' महसूस कर रहे हैं। यह फैसला उनके लिए हार-जीत की तरह नहीं है। मोदी ने ब्लॉग में दंगों को लेकर उनकी सरकार पर लगे आरोपों को खारिज करते हुए लिखा है कि जो कुछ हुआ वह अमानवीय था, लेकिन उनकी सरकार ने हिंसा के वक्त सही काम किया।
उन्होंने राजनैतिक इच्छाशक्ति और नैतिक दायित्व का निर्वाह किया। पीड़ितों को इंसाफ और दोषियों को सजा दिलाने की पहल की। इस दौरान उन्होंने मीडिया के जरिए शांति की कई बार अपील की। उन्होंने ब्लॉग में अपने ३७ दिन के उपवास का भी जिक्र किया।
गौरतलब है कि अहमदाबाद मेट्रोपॉलिटन कोर्ट ने गुरुवार को एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट और मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को दी गई क्लीन चिट के खिलाफ जकिया जाफरी की याचिका खारिज कर दी थी। मोदी ने इसके बाद ट्विटर पर 'सत्यमेव जयते' लिखकर तत्कालिक प्रतिक्रिया दी थी।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स