:: महत्वपूर्ण ::
– सरस्वती के आगे ब्रैकेट में लिखा जाएगा मुस्तफाबाद
– सरस्वती नगर में बस स्टैंड बनाया जाएगा और सीवरेज लाइन बिछेगी
यमुनानगर – मुस्तफाबाद की पहचान अब सरस्वती नदी के नाम से होगी। मुस्तफाबाद को भविष्य में ‘सरस्वती नगर’ के नाम से जाना जाएगा। मुस्तफाबाद सरस्वती नगर के आगे ब्रेकेट में लिखा जाएगा। यह घोषणा सीएम मनोहर लाल खट्टर ने सोमवार को साढौरा अनाज मंडी में आयोजित जनसभा में की। इतना ही नहीं सरस्वती नगर में ओर भी विकास कार्य कराए जाएंगे।
१९८७ में पास हुआ था प्रस्ताव
वर्ष १९८७ में भी मुस्तफाबाद का नाम सरस्वती नगर रखने की मांग उठी थी, क्योंकि मुस्तफाबाद कस्बा सरस्वती नदी के किनारे पर बसा है। तब स्थानीय पंचायतों ने कस्बा का नाम सरस्वती नगर रखने का प्रस्ताव एकमत से पास किया था। सरस्वती के प्रति लोगों की गहरी आस्था को देखते हुए पंचायतों ने यह प्रस्ताव पास किया था। यह प्रस्ताव राज्य सरकार के पास भी भेजा गया लेकिन सरकारें बदली लेकिन मुस्तफाबाद का नाम नहीं। अब मुस्तफाबाद नाम सरस्वती नगर के आगे ब्रैकेट में लिखा जाएगा।
सीएम का सरस्वती नगर से विशेष लगाव
स्थानीय लोगों ही नहीं बल्कि खुद सीएम मनोहर लाल खट्टर का भी सरस्वती नगर से विशेष लगाव रहा है। संघ प्रचारक के तौर पर मनोहर लाल का सरस्वती धाम पर काफी आना जाना था। १९८४ से १९९१ तक सात साल वे जिले में रहे। क्योंकि उनकी स्थानीय लोगों से अच्छी मित्रता थी इसलिए उनके साथ सरस्वती धाम पर होने वाले पूजा-पाठ व अन्य धार्मिक आयोजनों में बढ़ चढ़कर भाग लेते थे। 1987 में सरस्वती नगर के प्रस्ताव को पास कराने में भी मनोहर लाल ने अहम भूमिका निभाई थी।
आदिबद्री के बाद पहला कुंड मुस्तफाबाद में
सरस्वती नदी का उद्गम स्थल आदिबद्री में है। सरस्वती नदी विलुप्त है। मान्यता है कि आदिबद्री के बाद मुस्तफाबाद में सरस्वती का पहला कुंड है। यही वजह है कि कस्बा का महत्व बढ़ गया है। यहां पर सरस्वती कुंड को अब पक्का कर दिया गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने सवा दो करोड़ रुपये सरस्वती धाम के विकास के लिए मंजूर किए थे। इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रह है। कुंड के चारों तरफ विभिन्न देवी देवताओं के ११ से अधिक मंदिर बनाए गए हैं।
सरस्वती का महत्व बढे़गा : मेहता
सरस्वती विकास समिति के प्रवक्ता डॉ. राजेंद्र मेहता ने बताया सीएम द्वारा मुस्तफाबाद का नाम सरस्वती नगर रखने की घोषणा से सभी में खुशी का माहौल है। इससे लोगों में मां सरस्वती के प्रति आस्था बढे़गी। सरस्वती धाम पर अब सुबह-शाम आरती व पूजा पाठ होता है। स्थानीय के अलावा दूसरे राज्यों के लोगों की भी इससे गहरी आस्था है। क्योंकि इसके २०० से ज्यादा सदस्य बन चुके हैं।
स्त्रोत : जागरण