चुरी-अजीतगढ (राजस्थान) : श्रीराम कथा के कार्यक्रम में हमें आनंद मिलने के कारण हम वहां जाते हैं; परंतु यह आनंद निरंतर मिलने हेतु हमें नियमित रूप से साधना करनी चाहिए । यदि भगवान के नाम से रामसेतू का निर्माण कार्य करने हेतु लाए पत्थर पानी पर तैर सकते हैं, तो अपना उद्धार क्यों नहीं हो सकता ? भगवान श्रीराम ने मातृभूमि को स्वर्ग की अपेक्षा श्रेष्ठ माना है । अतः हमें नामसाधना के साथ मातृभूमि एवं धर्म की रक्षा हेतु संभवतः सभी प्रयास करने चाहिए । अंत में धर्म की ही जय होती है, यह त्रिवार सत्य ध्यान में लेकर हमें धर्मरक्षा हेतु सिद्ध होना चाहिए, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने ऐसा प्रतिपादन किया । वे यहां आयोजित संत श्री रामानंद महाराज की श्रीरामकथा के कार्यक्रम में बोल रहे थे । इस अवसर पर २०० से अधिक श्रद्धालु उपस्थित थे ।
संत श्री रामानंद महाराज का हिन्दू जनजागृति समिति के प्रति प्रेम !
संत श्री रामानंद महाराज ने इस कार्यक्रम हेतु अपनी कथा के समय में से आधे घंटे के लिए समिति को व्यासपीठ उपलब्ध कराया । साथ ही यहां पर सनातन-निर्मित ग्रंथों की प्रदर्शनी एवं धर्माचरण विषयक फलक लगाने की अनुमति भी दी । उसीप्रकार महाराज ने व्यासपीठ से स्वयं होकर लोगों को मासिक सनातन प्रभात के पाठक बनने का आवाहन भी किया । कथा के स्थान से ६ किलोमीटर दूरी पर स्थित मुकुंदगढ में समिति का कार्यक्रम आयोजित किया गया है । इस विषय में महाराज को बताने पर उन्होने लोगों से इस कार्यक्रम में उपस्थित रहने का आवाहन भी किया । महाराज ने कहा कि भविष्य की प्रत्येक कथा को आप यहां आकर यहां से धर्मप्रसार करें । मैं अन्य कथाओं के कार्यक्रमों में भी आप का विषय रखने हेतु सहाय्य करूंगा ।
क्षणिका
इस कार्यक्रम के आयोजक परिवार के श्री. भंवरसिंह शेखावत ने भी अनेक लोगों को मासिक सनातन प्रभात चालू करने के लिए कहा एवं साधकों के लिए आवश्यक सभी व्यवस्था उपलब्ध करा दी ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात