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हिंदू अधिवेशनके चतुर्थ दिवस की क्षणिकाएं !

आषाढ कृ. ९, कलियुग वर्ष ५११४

हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाके लिए इस प्रकारके प्रत्यक्ष कृत्य करनेवाले कृतिशील धर्माभिमानी ही हिंदू धर्मकी शक्ति हैं ।

१. जालस्थानपर अधिवेशनके कुछ अंश देखकर मुंबईके धर्माभिमानी श्री. प्रभाकर टिकेकरजीने अधिवेशनके आयोजनके लिए कुछ धन भेजा है । उन्होंने कहा है कि, आप मेरे स्वप्नके हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाके लिए प्रयास कर रहे हैं; इसलिए मैं यह धन अर्पण कर रहा हूं ।

कर्नल डी.के. कपूर

२. कर्नल डी.के. कपूर दिल्लीसे अधिवेशनके लिए आए हैं । संपूर्ण आयोजनकी सिद्धता देखकर वे आयोजकोंसे बोले, कि आगामी अधिवेशनके समय मुझे दो दिन पूर्व बुलाएं, जिससे मैं इस हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाकी सेवामें सम्मिलित हो सकूंगा ।


श्री. मनीष मंजुल

३. बंगालके श्री. मनीष मंजुल सनातनका आश्रम देखकर प्रभावित हुए । उन्होंने कहा कि, आश्रमके सेवकोंके कृत्य देखकर मुझे इस धर्मकार्यके लिए धन अर्पण करना है ।

४. हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाके लिए प्रयास करते समय हिंदुओंको भूखा भी रहना पड सकता है । इस संदर्भमें कैसा अनुभव होता है यह जाननेके लिए समितिके हरियाणा निवासी श्री. प्रतापसिंह वर्माने ४ दिन उपवास किया ।

हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाके लिए इस प्रकारके प्रत्यक्ष कृत्य करनेवाले कृतिशील धर्माभिमानी ही हिंदू धर्मकी शक्ति हैं ।

आईए हिंदू विश्व बनानेका ध्येय सामने रखें ! – एस्.एस्. यादव, गुजरात

गुजरातके श्री. एस्.एस्. यादवजीने कहा कि, अन्य पंथ पिछले ३ सहस्र वर्षोंसे हैं; परंतु उससे पूर्व संपूर्ण विश्वमें हिंदू ही रहते थे । इसके संबंधमें सैकडों प्रमाण हैं । इस कारण हमें केवल भारतको हिंदू राष्ट्र बनानेकी अपेक्षा संपूर्ण विश्वको हिंदू बनानेका ध्येय रखना चाहिए । हिंदु धर्म एक मनुष्यकी देहके समान है । इसकी बुद्धि अर्थात धार्मिक ग्रंथ एवं आत्मा अर्थात संत तथा गुरु हैं । गाय एवं गंगा यह दो आंखें हैं । हिंदुओंने धर्मका वास्तविक स्वरूप समझकर उसके अनुसार अन्य पंथियोंको भी उसका महत्त्व समझाना चाहिए, जिससे हम शीघ्र ही ध्येयप्राप्त कर सकेंगे ! 

आज स्वातंत्र्यवीर सावरकरजीके विचारोंकी आवश्यकता है ! – प्रवीण कवठेकर, संपादक, लोकजागर

सांगलीके त्रैमासिक ‘लोकजागर’के संपादक श्री. प्रवीण कवठेकरजीने कहा कि, आज स्वातंत्र्यवीर सावरकरजीके विचारोंकी आवश्यकता है । राजनीतिका हिंदुत्वकरण होना ही चाहिए । जीवनमें एक बार अंडमानकी यात्रा कीजिए । जिस प्रकार स्वातंत्र्यवीर सावरकरजीको कोल्हूका दंड मिला था ऐसा ही दंड भ्रष्टाचारी राज्यकर्ताओंको भी देना चाहिए । अफझलखानवधका चित्र चौथीकी पुस्तकसे हटाया गया है । इस कारण हिंदुओंको यह चित्र घर-घरमें लगाना चाहिए !

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