विजापुर धर्मसभा : धर्मविरोधी शक्तियोंपर अद्भूत धर्मविजय !

पौष कृष्ण १३ , कलियुग वर्ष ५११५ 


हिंदू धर्मजागृति सभामें उपस्थित धर्माभिमानी

हिंदू धर्मजागृति सभामें उपस्थित धर्माभिमानी

विजापुरमें २५.१२.२०१३ को होनेवाली हिंदू धर्मजागृति सभाके लिए पुलिसकी अनुमति मिलनेमें विविध अडचनें आ रही थीं । पुलिस अधीक्षकके अडियल नीतिके कारण पूरी कालावधिमें ३ – ४ प्रसंगोंमें ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई मानों सभा निरस्त करना पडेगी; परंतु इस प्रकरणमें हमें यह अनुभूति हुई कि ईश्वरी कार्यमें आनेवाली अडचनोंपर मात करने हेतु ईश्वर किसी न किसी माध्यमसे खडे रहते हैं । 


संपूर्ण प्रकरणका स्पष्ट घटनाक्रम

१७.१२.२०१३
उद्घोषणाके लिए प्रयुक्त किए जानेवाले वाहनोंको अकारण पुलिस थाना ले जाया गया !

विजापुरकी एक महिला पुलिस अधिकारीने ध्वनिक्षेपकसे धर्मसभाका प्रसार करनेवाले वाहनको रोककर विविध आज्ञापत्रोंकी (परमिट) मांग की । आज्ञापत्रके (परमिट) बतानेपर ध्वनिक्षेपकके माध्यमेसे की जानेवाली उद्घोषणाकी चक्रिकाकी (कैसेट) सीडी मांग की । कोई अपराध न होते हुए भी चक्रिका (कैसेट) मिलनेतक वाहनोंको पुलिस थानेमें ले जाया गया ।

१८.१२.२०१३
पुलिस कहती एक है एवं करती अलग है, यह दर्शानेवाली घटनाएं

१. विविध संगठनोंके हिंदुनिष्ठ पुलिस थानेमें संगठित हुए तथा उन्होंने वाहन मुक्त करनेहेतु पुलिस अधिकारियोंसे प्रार्थना की । हिंदुनिष्ठोंके समक्ष पुलिसकर्मियोंने वाहनको मुक्त करने एवं उद्घोषणाको सम्मति देनेकी सिद्धता दर्शाई । 

२. हिंदुनिष्ठोंके जानेके पश्चात पुलिसकर्मियोंने हिंदू जनजागृति समितिके कार्यकर्ताओंसे ध्वनिक्षेपकके लिए पुलिसद्वारा लिखित रूपमें दी गई अनुमतिकी मांग की । कार्यकर्ताओंद्वारा लिखित मांगकी झेरॉक्स प्रति दर्शाए जानेपर पुलिसने उसके मूल प्रतिकी मांग की । 

३. कार्यकर्ताओंने उसकी मूल प्रति देनेपर पुलिसने कार्यकर्ताओंसे ‘अब आपको पुलिस अधीक्षकसे अनुमति लेना पडेगी,’ ऐसा कह कार्यकर्ताओंको वापस भेज दिया ।

१९.१२.२०१३
पुलिस अधीक्षकद्वारा कार्यकर्ताओंपर दबावतंत्रका उपयोग कर भय उत्पन्न करनेका प्रयास करना !

१. कार्यकर्ता पुलिस अधीक्षकके कार्यालयमें गए, तो पुलिस  अधीक्षक अजय हिलोरीने कार्यकर्ताओंसे विविध प्रश्न पूछकर दबावतंत्रका उपयोग करना आरंभ किया । ध्वनिक्षेपकके माध्यमसे धर्मसभाका प्रसार करनेकी अनुमति स्पष्ट रुपसे अस्वीकार की । मौखिक सूचनाएं देकर कार्यकर्ताओंमें भय उत्पन्न करनेका प्रयास किया। 

२. पुलिस अधीक्षकने कार्यकर्ताओंसे ’’मेरा विरोध आपकी धर्मसभाको नहीं, अपितु मुतालिकोंको है । सभाके व्यासपीठपर कौन विराजमान होंगे ? वे कहांसे आएंगे ? उनका वाहन क्रमांक ? वे कहां रहेंगे ? सभाके लिए किसका ध्वनिक्षेपक तंत्र प्रयुक्त करेंगे ?’’ आदि सभी जानकारी लिखित रुपमें देनेको कहा । 

३. पुलिस अधीक्षकने धर्मसभाके लिए मैदान उपलब्ध करानेवाली शालेय संस्थाके प्रमुख अध्यापकको आमंत्रित किया तथा उनपर दबावतंत्रका उपयोग कर धर्मसभाके लिए मैदानकी अनुमति निरस्त करनेके लिए कहा ।

२०.१२.२०१३
पुलिस अधीक्षकने मैदान न देने हेतु मुख्याध्यापकपर दबाव तंत्रका उपयोग करनेके कारण सभा निरस्त करनेका समय आना !

१. विद्यालयके मुख्याध्यापकने कार्यकर्ताओंको भ्रमणभाष कर धर्मसभाके लिए मैदानका उपयोग न करनेकी विनती की । इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस अधीक्षकने उन्हें आमंत्रित कर उनपर धर्मसभाके लिए मैदान न देनेके विषयमें दबाव लाया है । 

२. उन्होंने कार्यकर्ताओंसे विनती की कि वे धर्मसभाके लिए मैदान प्रयुक्त नहीं करेंगे, ऐसा लिखकर दें ।
३. पुलिस अधीक्षकके दबावके कारण कार्यकर्ताओंने सभा निरस्त करनेका निश्चय किया ।

२१.१२.२०१३
भाजपाके भूतपूर्व विधायक श्री. पट्टनशेट्टीद्वारा सभाकी अनुमतिके लिए किए गए प्रयास

१. विजापुरके भाजपाके भूतपूर्व विधायक श्री. अप्पू पट्टनशेट्टीने सभाके लिए अनुमति मिलने हेतु समितिके कार्यकर्ताओंसे संपर्क कर धर्मसभाके लिए पुलिस अधीक्षकद्वारा अनुमति प्राप्त करानेकी सिद्धता दर्शाई । 

२. श्री. पट्टनशेट्टी तथा समितिके कार्यकर्ता एवं हिंदुनिष्ठोंका प्रतिनिधिमंडल पुलिस अधीक्षकसे मिलने गया ।
३. पुलिस अधीक्षकने ‘सभामें कोई प्रक्षोभक भाषण नहीं करेगा,’ ऐसा लिखित रूपमें देनेकी शर्तपर सभाके लिए अनुमति देनेकी सिद्धता दर्शाई । प्रतिनिधिमंडलने इसप्रकार लिखकर दिया । 

४. धर्मसभाके प्रसारके लिए वाहनफेरी आयोजित करने हेतु कार्यकर्ताओंद्वारा पुलिस अधीक्षकसे अनुमति मांगनेपर पुलिस अधीक्षकने ऐसी शर्त रखी कि वाहनफेरीमें केवल ३० वाहनही हो तथा उन वाहनोंके क्रमांक पुलिसको दिए जाए । कार्यकर्ताओंने यह शर्त स्वीकार की; परंतु कहा कि ३० वाहन कौनसे होंगे यह ज्ञात न रहनेके कारण क्रमांक देना असंभव है । इसपर पुलिस  अधीक्षकने कहा कि बिना क्रमांक दिए अनुमति नहीं मिलेगी ।

२३.१२.२०१३
पुलिसद्वारा बिना किसी कारण शांतिपूर्ण पद्धतिसे जानेवाली वाहनफेरीमें उपस्थित हिंदुनिष्ठोंको मारा गया !

१. पुलिसद्वारा वाहनफेरी आरंभ होनेसे पूर्व ३० मिनट फेरीहेतु आए १५ गाडियोंके क्रमांकोंका पंजीकरण कर वाहनफेरीके लिए अनुमति दी गई । 

२. वाहनफेरी अंतिम स्तरपर रहते समय पुलिसने ‘अशांति उत्पन्न करनेका प्रयास किया’ ऐसा झूठा कारण बताकर वाहनफेरीमें सम्मिलित ३ हिंदुनिष्ठोंको तथा अकारण एक भ्रमणभाषद्वारा ध्वनिचित्रीकरण (ऑडिओ-विडिओ रेकॉर्डिंग) करनेवाले हिंदुनिष्ठको मारा । 

पुलिस अधीक्षकद्वारा सभाके लिए अनुमति देनेमें टालमटोल !

सभाके लिए अनुमति मिलने हेतु कार्यकर्ता पुलिस अधीक्षकके पास गए, तो उन्होंने ‘सभामें कोई भी वक्ता प्रक्षोभक भाषण नहीं करेगा,’ ऐसा लिखकर देने कहा तथा बिना अनुमतिके कार्यकर्ताओंको वापस भेज दिया ।

२४.१२.२०१३
हिंदुनिष्ठ अधिवक्ता श्री. अमृतेशकी लगनसे उच्च न्यायालयके  न्यायमूर्तिद्वारा सभा होने हेतु आदेश दिया गया !

१. बेंगलुरूके हिंदुनिष्ठ अधिवक्ता श्री. अमृतेशने सभाकी अनुमतिके लिए उच्च न्यायालयमें याचिका प्रविष्ट करनेकी सिद्धता की; परंतु एक साहित्यिकका निधन होनेके कारण कर्नाटक सरकारने सार्वजनिक छुट्टी जाहीर करनेके कारण न्यायालयका कामकाज भी बंद हो गया । 

२. श्री. अमृतेशने न्यायधीशके घर जाकर याचिका प्रविष्ट की । न्यायधीशने सरकारी पक्षको अपना कथन प्रस्तुत करनेके आदेश दिए; परंतु एक घंटेके पश्चात भी सरकारी पक्षने अपना कहना नहीं प्रस्तुत किया । इसलिए न्यायालयद्वारा ४.३० बजेतक परिणाम प्रलंबित रखा गया । 

३. पुलिस अधीक्षककी सूचनाके अनुसार समितिके कार्यकर्ता ‘कोई वक्ता प्रक्षोभक नहीं बोलेगा,’ ऐसा लिखित रूपमें निवेदन देने हेतु गए, तो उस समय पुलिस अधीक्षकने उनसे कहा कि निवेदनका दिनांक चूक गया है अतः काट-छाट न करते हुए नया निवेदन बाँडपेपरपर लिखकर लाएं । 

४. संध्यासमयतक सरकारी पक्षने न्यायालयमें अपना कहना प्रस्तुत न करनेके कारण उच्च न्यायालयके न्यायमूर्तिने सरकारको सूचनाएं दी कि धर्मसभामें कोई अडचनें न लाई जाएं । 

५. कर्नाटक पुलिस महाअधीक्षकने श्री. अमृतेशको लघुसंदेश भेजकर आश्वासन दिया, ‘सभाके लिए अनुमति मिलने हेतु आप कहीं न जाएं । मैं सभाका दायित्व लेता हूं । अब सभाके लिए अनुमति देने हेतु पुलिस अधीक्षक आपके पास आएंगे ।’ 

६. संध्या समय विजापुरके पुलिस अधीक्षक सभास्थलपर मैदानमें आए तथा ‘सभाके लिए हमारी ओरसे कोई अडचन नहीं है । बडी सभा करें,’ ऐसा कह निकल गए।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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