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अलीगढ (उत्तरप्रदेश) : अलीगढ में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे ने ऐसा प्रतिपादन किया कि आज हिन्दू विविध कारणों से आपस में लडते दिखाई देते हैं। अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनोंका एक दूसरे में मेल नहीं है। यदि ऐसा ही चलता रहा, तो हिन्दुओंका प्रभावी संगठन कैसे बनेगा एवं संगठन के बिना हिन्दुओंके प्रश्नोंपर हल कैसे निकलेगा ? हिन्दुओंका प्रभावी संगठन होने हेतु हिन्दुओंको धर्माचरण एवं साधना करना आवश्यक है।
उन्होंने आगे कहा कि आद्य शंकराचार्य, छत्रपति शिवाजी महाराज तथा आर्य चाणक्य ने अधर्मी राज्योंका उच्चाटन कर धर्म राज्य की संस्थापना की। अपने धर्म में पुत्र, माता, पिता एवं राजा का कर्तव्य क्या है, यह बताया गया है। मातृधर्म, पितृधर्म तथा राजधर्म बताया गया है। धर्म की दृष्टि से सभी बातोंका महत्त्व बताया है। हमें इनको आचरण में लाना चाहिए।
विशेष कर इस संपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन अलीगढ के मासिक (हिन्दी) सनातन प्रभात के पाठक श्री. मधुकर आर्य, श्री. टीक्कम सिंह एवं श्री. संतोष कुमार ने किया था। इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. अरिंवद गुप्ता ने संक्षेप में समिति के कार्य का परिचय कराया। विद्दयुत कामगार संगठन के अध्यक्ष श्री. अशोक सक्सेना ने पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे का सम्मान किया।
इस कार्यक्रम में हिन्दू जागरण मंच के अध्यक्ष श्री. सत्यप्रकाश नवमान, आहूति सामाजिक संस्था के अध्यक्ष श्री. अशोक चौधरी, अखंड भारत कवच पार्टी के पं. सुनील दत्त शर्मा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के श्री. देवेंद्र सक्सेना इत्यादि मान्यवर उपस्थित थे।
क्षणिकाएं
१. इस कार्यक्रम में सनातन के १० पाठक सह परिवार उपस्थित थे।
२. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।
३. उपस्थित धर्माभिमानियोंने कार्यक्रम के स्थान पर धर्मशिक्षा विषयक प्रदर्शनी का लाभ लिया। अनेक हिन्दुत्वनिष्ठोंने फ्लेक्स प्रदर्शनी के छायाचित्र निकाले।
४. संघ के कार्यकर्ताओंने कहा कि इतना अच्छा मार्गदर्शन था कि यदि आप पत्रकार परिषद आयोजित करते, तो और भी बहुत से लोग आते तथा उन्हें भी इस कार्यक्रम का लाभ होता।
५. अनेक जिज्ञासुओं ने पू. डॉ. पिंगळे काका से भेंट की एवं अध्यात्म एवं राष्ट्ररक्षा विषय पर अपनी शंकाओंका निरसन करवा लिया।
संकीर्ण मानसिकता के हिन्दू संगठन सभी दृष्टि से हिन्दुओंका विकास कैसे करेंगे ?
इस कार्यक्रम के लिए आर्य समाज से सभागृह की मांग की थी। उस समय उन्होंने कहा कि हम सभागृह देंगे; परंतु आपका फलक वहां न लगाएं; क्योंकि हम सनातन का विरोध करते हैं। आप सनातन का फलक लगाए बिना कार्यक्रम कर सकते हैं। इसलिए उस सभागृह में कार्यक्रम का आयोजन करना संभव नहीं हुआ।
पूरी लगन के साथ धर्मसेवा करनेवाले पाठक ही सनातन की शक्ति हैं !
मासिक सनातन प्रभात के पाठक श्री. मधुकर आर्य के पिता श्री. मुकुट बिहारीलाल प्रौढ होते हुए भी घर-घर जाकर उन्होंने इस कार्यक्रम का निमंत्रण दिया था। उन्होंने पू.पिंगळे काका से कहा कि यदि कार्यक्रम के आयोजन में त्रुटियां हुई हों, तो क्षमा करें एवं मेरी सुदामा की सेवा स्वीकार करें। उन में अत्यधिक प्रेमभाव, धर्माभिमान, जिज्ञासा एवं त्याग की मानसिकता है, यह बात बहुत लोगोंके ध्यान में आई है। श्री. मधुकर आर्य को पुस्तक की दुकान है। वे बहुत व्यस्त रहते हैं, तब भी समय का त्याग कर उन्होंने इस कार्यक्रम का पूरा दायित्व लिया। उन्होंने कार्यक्रम का पूरा आयोजन भी किया। साथ श्री. टीक्कम सिंह ने भी श्री. मधुकर आर्य के समान ही कार्यक्रम के आयोजन में सहायता की।
– श्री. प्रणव मणेरीकर, हिन्दू जनजागृति समिति
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात