हमने ही कांटोवाला बबूलका बीज बोया, तो उसके फल मीठे कैसे रहेंगे ?

पौष कृष्ण १३ , कलियुग वर्ष ५११५ 


१. पाकिस्तानसे अधिकांश हिंदुओंको हकाल दिया गया अथवा मृत्युदंड दिया गया; परंतु भारतमें तीन करोड मुसलमान जैसेके तैसे पांव गाडकर सुख-चैनसे रहे !

भारतका विभाजन धर्मके आधारपर तथा जनसंख्या एवं क्षेत्रफलको ध्यानमें रख किया गया था, यह ऐतिहासिक सत्य है; परंतु दुखकी बात यह है कि पाकिस्तानसे अधिकांश हिंदुओंको एक तो हटाया गया अथवा उन्हें मृत्युदंड दिया गया; जबकि भारतमें तीन करोड मुसलमान जैसे थे वैसे पांव रखकर सुखचैनसे रहे ।

२. झूठी वाहवा प्राप्त करनेकी लालचमें हमारे तथाकथित नेताओंने  धर्मनिरपेक्षताका पोशाक चढाकर भारतको खंडित एवं घायल किया !

वर्ष १९४७ में अंग्रेज एवं अन्य देशोंके मतके अनुसार पाकिस्तान मुसलमान नेशन (राष्ट्र) एवं भारत ‘हिंदु राष्ट्र’ के रूपमें माना जाता था । वह इसलिए कि हिंदू संस्कारसे उदार एवं सहिष्णू हैं । इस मानसिकताका लाभ उठाकर विश्वमें झूठी वाहवा प्राप्त करनेकी लालचमें हमारे तथाकथित / उस समयके नेताओंने भारतको धर्मनिरपेक्षताका पोशाक चढाया । हम निश्चित रूपसे देख रहे हैं कि यह धर्मनिरपेक्षता धर्म, जाति, भाषा, प्रांत तथा वर्गसे खंडित एवं घायल देशके रूपमें कितनी सार्थक सिद्ध हुई है । मतपेटीकी राजनीतिने ऐसी हवा भरी है कि यह मानसिकता आज आतंकवाद, विघनटनवाद, तोडफोड तथा मारपीटतक पहुंच गई है ।

३. विभाजनके उपरांत जिस अल्पसंख्यक समूहको दुधमें शक्कर मिलानेसमान एकरूप होना चाहिए था, वे मुल्ला-मौलवी स्वार्थी नेताओंकी कृपासे दुधमें नमक मिलाने समान हो गए ।
४. स्वतंत्र भारतमें ‘हसके लिया है पाकिस्तान, लड कर लेंगे हिंदुस्थान’ घोषणा देनेवाली मुस्लिम लीग एवं उसके समान मानसिकतावाले पांव गाडकर बैठे हैं, जो अपने सबके लिए लज्जाकी बात है !

७.२.१९४७ में पाकिस्तानके नियोजित मंत्री गजफर अलीने लाहोरमें अपने एक भाषणमें कहा था कि महंम्मद बीन कासीम एवं महमूद गजनबीने कुछ सहस्र सैन्य लेकर भारतपर आक्रमण किया था एवं लाखों हिंदुओंपर विजय प्राप्त करनेमे वे सफल हुए थे । यदि अल्लाहके मनमें रहा, तो अब भी कुछ लाख मुसलमान करोडों हिंदुओंपर नियंत्रण पा सकते हैं । उस समय बटवारेका (विभाजनका) बीज बोनेवाली मुस्लिम लीगकी एक घोषणा ‘हसके लिया है पाकिस्तान, लड कर लेंगे हिंदुस्थान’ प्रचलित थी । स्वतंत्र भारतमें वही मुस्लिम लीग एवं उसके समान मानसिकतावाले लोगोंका पांव गाडकर रखना हम सबके लिए आश्चर्य एवं लज्जाकी बात है ।

५. मुसलमानोंकी मानसिकता पहचाननेवाले सरदार पटेल !

विभाजनसे पूर्व उत्तर पश्चिमी सीमा प्रांत तथा अन्य प्रमुख स्थानोंपर अस्त्र-शस्त्रोंका क्रय-विक्रय करनेवाली मुस्लिम लीग ! : विभाजनसेपूर्व मुस्लिम लीग उत्तर पश्चिमी सीमा प्रांत एवं अन्य प्रमुख स्थानोंपर अस्त्र-शस्त्रोंका क्रय-विक्रय करती थी । उस समयके गुप्तचर विभागके आदेशक स्मिथको सरदार पटेलने स्पष्ट शब्दोंमें कहा था कि यदि आपको ऐसा लगता है कि उदारतासे मुसलमान प्रसन्न हो सकते हैं, तो आप मुसलमानोंकी मानसिकता एवं वर्तमान स्थितिको नहीं समझ सके ।

६. यदि हमसे हुई चूकोंके कारण हमने जो बबूलका बीज बोया है, उसके मीठे फल खाकर हमारी आंखें नहीं खुली, तो इतिहास कभी हमें क्षमा नहीं करेगा !

इस कटू सत्यका स्वीकार कर हमें राष्ट्र तथा राष्ट्रहितका गंभीरतासे विचार करना चाहिए । यदि इन विषैले घटकोंकी  चापलूसी की, उन्हें प्रोत्साहित किया अथवा उनके सामने नतमस्तक हुए, तो देशका विनाश होगा । विभाजनसे पूर्व एवं पश्चात हमने हमारी चूकोंसे जो बबूलका बीज बोया, उसके मीठे फल खाकर भी हमारे ध्यानमें यह नहीं आया, तो इतिहास कभी भी हमें क्षमा नहीं करेगा ।

७. विभाजनके समय धर्मकी अग्निमें आपका घर जल रहा था । आज यह घर चारों ओरसे धर्म, भाषा, प्रांत, वर्ग, आतंकवाद, भ्रष्टाचार इत्यदि बातोंके कारण जल रहा है । क्या आपको यह घर बचाना नहीं है ?

विभाजनके समय अंतःकरणको छूनेवाला (हृदयपर आघात करनेवाला) एक गीत प्रचलित था । वह गीत इसप्रकार था ‘देशके नौजवां, देशके पासवां, सुनते जाना, जल रहा है तेरा आशियाना ।’ युवा मित्रों, उस समय तो धर्मकी अग्निमें आपका घर जल रहा था । आज तो यह घर चारों ओरसे धर्म, भाषा, प्रांत, वर्ग, आतंकवाद, दरिद्रता, विघटनवाद, विस्फोट, शोषण, भूक, निर्धनता तथा बेरोजगारी एवं साथ ही भ्रष्टाचार, संपत्तिकी लालचसे जल रहा है । ऐसे धधकते समय क्या आप मौन रहेंगे ? क्या आपके घरको नहीं बचाएंगे ? 

– सत्य नारायण मिश्र  (ठेंगे पर सब मार दिया, जून २००९ – संपादक जीवन प्रभात, मुंबई)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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