पौष कृष्णपक्ष १४, कलियुग वर्ष ५११५
धर्म-अधर्मकी लडाईमें अंततः धर्मकी ही विजय ! – श्री. वीरेंद्र मराठे, व्यवस्थापकीय विश्वस्त, सनातन संस्था
कांग्रेस शासनने मडगांव बमविस्फोट २००९ प्रकरणमें हमारे ६ साधकोंको अनावश्यकरूपसे फंसाकर सनातनकी मानहानि करनेके लिए सनातनद्वेषियोंको खुली छूट दे दी । इस प्रकरणमें आध्यात्मिक कार्य करनेवाली सनातन संस्थाको समाप्त करनेके उद्देश्यसे तत्कालीन कांग्रेस शासनने गोवा पुलिसकी सहायतासे विविध प्रकारसे प्रयत्न किए थे । पुलिसके अनुचित दिशामें अन्वेषण करनेसे सनातनके छह निर्दोष साधकोंको चार वर्षतक अनावश्यक यातनाएं सहनी पडीं तथा उनके युवावस्थाके अनमोल ४ वर्ष कारागृहमें व्यर्थ गए ।
पुलिसको इस प्रकारणमें सनातन संस्था किसी भी प्रकारसे दोषी नहीं मिली । न्यायालयने भी इस प्रकरणमें सनातन संस्थाको संलग्न नहीं पाया है । किंबहुना, चार वर्ष चले इस अभियोगके कामकाजमें यह विषय कभी उपस्थित ही नहीं हुआ । आज सर्व न्यायिक प्रक्रियासे तपकर सनातनकी निर्दोषिता सिद्ध हुई है, जो सनातनद्वेषियोंके मुंहपर जोरका थप्पड है, ऐसा हम मानते हैं । मुंडकोपनिषदका एक सुभाषित है, सत्यमेव जयति, अर्थात अंततः सत्यकी ही जीत होती है । इसके अनुसार सत्यकी जीत सिद्ध हुई । धर्म-अधर्मके युद्धमें धर्म ही विजयी हुआ ! अब सनातन संस्थाकी निर्दोषिता सिद्ध होनेके पश्चात, क्या सनातन संस्थाको अपकीर्त करनेवाले तथाकथित विचारक एवं राजकर्ता पश्चाताप व्यक्त करनेका साहस करेंगे ?