वैशाख कृष्णपक्ष ११, कलियुग वर्ष ५११७
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शिमला – ऐतिहासिक गांव शांघड में भीषण अग्निकांड से देवता शंगखचूल महादेव के पांडव कालीन मंदिर सहित तीन मकान जल गए। साथ ही महामाई जोगनी का मंदिर भी राख हो गया।
शंगचूल महादेव की प्राचीन २० अष्टधातु की मूर्तियां भी जल गईं। आग मध्य रात्रि करीब १२ बजे लगी। आग लगने की आवाज से जब लोगों की नींद टूटी तो मंदिर के साथ लगते घरों ने भी अाग पकड़ ली। लोग घरों को छोड़ कर मंदिर दरवाजे को तोड़कर देवता के मोहरे और अन्य आभूषणों को बचाने का प्रयास किया लेकिन तब तक मंदिर पूरी तरह से आग की चपेट में आ चुका था। पुजारी के घर में कुछ दिनों से बराजमान देवता के रथ को ही लोग बचा पाए।
१३ परिवार हुए बेघर
इस हादसे में देवता के साथ १८ परिवार भी बेघर हो गए है। हालांकि लोगों ने आग कर काबू का प्रयास किया। लेकिन काष्ठकुणी शैली से बने इन मकानों को बचाया नहीं जा सका। आग इतनी भयानक थी कि लोग अपने घरों से कुछ भी बाहर नहीं निकाल सके। मंदिर में रखी १२ पौराणिक अष्ठधातु की मूर्तियां, सोने की तीन मोहरे, तीन मूर्तियां चांदी, चार छत्र चांदी के, एक छत्र सोने का, चांदी की मझाणी, चांदी का सामन, पूरी पूजा की सामग्री और वस्तुएं के साथ लगभग २० लाख के करीब नकदी जल कर राख हो गई है। प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को दस दस हजार रूपए की आर्थिक मदद की है।
बीते साल ३५ लाख से हुआ था मंदिर की जिर्णोद्धार
आग में जलकर खाक हुआ शंगचूल देवता मंदिर के जिर्णोद्धार का कार्य करीब पांच माह पहले ही पूरा हुआ था। जिस पर करीब ३५ लाख रुपए खर्च किए गए थे।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर