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हिंदुत्वकी विचारधारा नष्ट करनेके लिए उतावले प्रसारमाध्यम ! – बी.आर्. हरन

आषाढ कृ. १०, कलियुग वर्ष ५११४

रामनाथी – इस अधिवेशनके अंतिम दिन तमिलनाडुके वरिष्ठ पत्रकार श्री. बी.आर्. हरनने ‘हिंदू और प्रसारमाध्यम’ इस विषयपर बडी स्पष्टतासे अपनी बात रखते हुए कहा, ‘इस अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशनके माध्यमसे हो रहा हिंदूसंगठन अत्यंत गौरवपूर्ण घटना है । इसके लिए हिंदू संगठनोंको बडी लगनसे कार्य करना होगा । भारतीय प्रसारमाध्यम, हिंदु संस्कृतिकी रक्षा करनेवाली धार्मिक प्रथाओं, परंपराओं, मंदिरों इत्यादिपर धर्मनिरपेक्षताके नामपर बारंबार आक्रमण करते हैं । ये, हिंदुत्वकी विचारधारा भारतसे नष्ट करनेके लिए उतावले हो गए हैं ।’

हिंदु संस्कृतिका समूल उच्चाटन करने हेतु प्रसारमाध्यमोंकी चाल !

१. बारंबार शंकराचार्य, धर्माचार्य, संप्रदाय प्रमुख, संत, महंत तथा सबरीमला, अमरनाथ मंदिर, कांची कामकोटि पीठ, जगन्नाथ पुरी आदिको अपकीर्त (बदनाम) करना
२. दीपावली, दुर्गापूजा, जन्माष्टमी, कुंभमेला, गणेश विसर्जन, अय्यप्पा मकर ज्योति इत्यादि हिंदु धर्मके त्यौहार-उत्सवोंके संदर्भमें श्रद्धापर आघात करनेवाले चर्चासत्र आयोजित करना
३. कश्मीरमें धारा ३७० निरस्त करना, मुहम्मद अफजलको फांसी देना, समान नागरी कानून लागू करना, धर्मांतरविरोधी अधिनियम आदि बातोंको वे जानबूझकर बगल कर देते हैं ।
४. पाश्चात्त्य संस्कृतिको महान बताना

प्रसारमाध्यमोंके लिए आचारसंहिता कैसी हो ?

१. प्रसारमाध्यमोंमें राजनीतिक दल अथवा राजनेताओंको प्रवेश न दिया जाए ।
२. ‘रिअ‍ॅलीटी शो’पर प्रतिबंध हो ।
३. शोध-समाचार, प्रमाणके अभावमें प्रकाशित न हों ।
४. विज्ञापनोंके लिए परिनिरीक्षण मंडल हों ।
५. जातीयता पैâलानेवाले संवेदनशील विषयोंसे संबंधित समाचार प्रकाशित करनेपर प्रतिबंध हो ।
६. अश्लील बातोंका प्रकाशन प्रसारमाध्यम न करें ।
७. हिंदु संप्रदायोंद्वारा संचालित शैक्षिक संस्थाएं पत्रकारिता पाठ्यक्रम चलाएं ।

संपादकोंकी गुटचर्चामें हिंदुत्वनिष्ठ नियतकालिकोंका परस्परसमन्वय बढानेका निर्धार !

कल अधिवेशनके चौथे दिनके अंतिम सत्रमें ‘हिंदुत्वनिष्ठ नियतकालिकोंको समन्वय कैसे रखना चाहिए ?’ इस विषयपर गुटचर्चा आयोजित की गई थी । इसमें संपादक एवं पत्रकार सम्मिलित हुए थे । इस गुटचर्चामें हिंदुत्वनिष्ठ नियतकालिकोंका परस्पर समन्वय बढानेका निर्धार किया गया ।

इस गुटचर्चाका सारांश अंग्रेजी मासिक पत्रिका ‘हिंदू वॉईस’के समूहसंपादक श्री. पी. देवमुथ्थुजीने प्रस्तुत किया ।

१. ‘गुगल’ पर हिंदू नियतकालिकोंके समूह बनाना ।

२. उसपर पाठकोंकी संख्या बढाना ।

३. देशभरके हिंदू नियतकालिकोंकी संपर्क यंत्रणा बनाना ।

४. उनके माध्यमसे समाचारोंका आदानप्रदान करना तथा समाचारोंका स्थानीय भाषाओंमें भाषांतर कर वे देशभरमें प्रसारित करना ।

५. जिन हिंदू संगठनोंको अपने नियतकालिक प्रारंभ करने हो, उन्हें सर्वप्रकारसे सहायता करना ।

६. देशभरके हिंदू धर्माभिमानी पत्रकारोंके संपर्क क्रमांकोंका आदानप्रदान कर संगठनको शक्तिशाली बनाना  ।

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