वैशाख कृष्णपक्ष १३, कलियुग वर्ष ५११७
माले – दुनिया के सबसे खूबसूरत देशों में गिने जाने वाले मालदीव के युवा तेजी से आतंकी संगठन IS में शामिल हो रहे हैं। खास बात यह है कि यहां कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां कुछ लड़के पहले ड्रग्स का शिकार होते हैं, किसी लोकल गैंग का हिस्सा बनते हैं और आखिर में जेल पहुंच जाते हैं। जेल में उनके संपर्क कुछ ऐसे लोगों से होते हैं जो उन्हें कट्टरपंथ और आईएसआईएस में शामिल होने को उकसाते हैं।
फुटबॉल प्लेयर से जिहादी तक
हाल ही में मालदीव का हसन शिफाजी सीरिया में आईएसआईएस के लिए जंग लड़ता हुआ मारा गया। शिफाजी २००८ तक एक सामान्य लड़के की तरह था जो फुटबॉल खेलता था और उसे म्यूजिक का काफी शौक था। शिफाजी ने लंबे समय डेटिंग के बाद मरियम से शादी की और उसके दो बच्चे भी हुए। अचानक उसका झुकाव धर्म की तरफ हुआ और वह ज्यादातर वक्त स्थानीय धर्मगुरुओं के साथ गुजारने लगा। कुछ समय बाद वह सीरिया चला गया जहां विदेशी सेनाओं से लड़ते समय उसकी मौत हो गई।
मालदीव में बढ़ता खतरा
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव के करीब २०० लोग इस वक्त आईएसआईएस के लिए जिहाद में शामिल हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से ज्यादातर ड्रग्स और लोकल गैंग्स में शामिल रहने के साथ ही जेल भी जा चुके हैं। जेल से निकलने के बाद वे कट्टरपंथी विचारधारा का शिकार होते हैं और फिर आईएसआईएस में शामिल होने चले जाते हैं। सीरिया में मालदीव का जो आखिरी लड़ाका अहमद मुंसिफ मारा गया है वह साल २०१२ में सजा काट चुका है। उस पर एक पुलिस अफसर पर हमला करने और ड्रग्स गैंग में शामिल होने के आरोप थे। २०१४ में वह अपनी पत्नी सुमा अली के साथ IS में शामिल हो गया। मुंसिफ के एक दोस्त का कहना है कि वह जिंदगी से तंग आ चुका था और मालदीव को पापियों का देश कहता था। हसन शिफाजी तो इंटेलीजेंट प्रोफेशनल था, लेकिन कट्टरपंथ का शिकार होने के बाद उसने कई अच्छी नौकरियां छोड़ दीं। साल २०१२ में माले के नेश्नल म्युजिम में रखे भगवान बुद्ध के सिर को तोड़ दिया गया था, बताया जाता है कि यह काम कट्टरपंथियों का था और हसन शिफाजी भी इस काम में शामिल था।
जेलों में कट्टरपंथी सक्रिय
मालदीव के करीब ५० लड़के पाकिस्तान जा चुके हैं और माना जाता है कि ये तालिबान में शामिल हैं। एक पुलिस अफसर का कहना है कि युवाओं के कट्टरपंथ की ओर बढ़ते झुकाव का एक कारण यहां की जेल हैं। युवा ड्रग्स और गैंगवार में शामिल होने के बाद पकड़े जाते हैं और उन्हें जेल भेज दिया जाता है। यहां की जेलों में कट्टरपंथी संगठनों का बहुत प्रभाव है और ये लड़कों को आईएसआईएस और तालिबान जैसे आतंकी संगठनों में शामिल होने के लिए उकसाते हैं।
चैरिटी से कट्टरपंथ
मालदीव के लेखक और एनालिस्ट यामीन रशीद के मुताबिक हिंद महासागर में साल २००४ में आई सुनामी ने यहां भारी तबाही मचाई थी। इसके बाद पाकिस्तान और मिडिल-ईस्ट से कई धर्मगुरू मालदीव पहुंचे। उन्होंने यहां चैरिटी के नाम पर काफी खर्च किया, लेकिन वे यहां एक संदेश यह भी छोड़ गए कि मालदीव अपने पापों की सजा भुगत रहा है और अगर यहां के लोगों को इन तकलीफों से बचना है तो उन्हें अल्लाह की शरण लेनी होगी। इसके बाद यहां के पुरुषों और महिलाओं का पहनावा भी काफी हद तक इस्लामी हो गया, साथ ही कट्टरपंथी विचारधारा हावी हो गई।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर