वैशाख कृष्णपक्ष १, कलियुग वर्ष ५११७
नई दिल्ली : इन दिनों राजस्थान की स्कूली किताबों में अकबर के स्थान पर महाराणा प्रताप को महान बताने से सिर पकड़कर बैठ गए हैं। अभी तक अकबर को ग्रेट या महान बताया जाता रहा था। आखिर वे मुगलकाल के सबसे अहम शासक थे। ये तो निर्विवाद है।
राजस्थान में ये सब हो रहा है शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी के इशारे पर। वे संघ से जुड़े रहे हैं। वे मानते हैं कि चूंकि दोनों का एक ही दौर में राजस्थान से संबंध रहा है,इसलिए दोनों महान कैसे हो सकते हैं। वह भी तब जब दोनों में तगड़ी अदावत रही हो।
अकबर धर्मनिरपेक्ष थे
राजधानी के प्रमुख स्कूल से जुड़े हुए नामवर इतिहासकार फिरोज अहमद बख्त राजस्थान के मंत्री के इस कदम की निंदा करते हुए कहते हैं कि अकबर को महान ना बताना बेहद गलत है। वे महान थे। वे धर्मनिरपेक्ष थे। उनके राज को बेहतरीन माना जाता है।
कम नहीं थे महाराणा प्रताप
हालांकि वे कहते हैं कि महाराणा प्रताप भी महान थे। वे सवाल करते हैं कि दो शासक महान क्यों नहीं हो सकते। महाराणा प्रताप राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र से संबंध रखते थे। वे राजपूत शासक थे। मंत्री जी का अपना तर्क है। उन्होंने एक हालिया इंटरव्यू में कहा कि महाराणा प्रताप ने अकबर को टक्कर दी। इसलिए दोनों को महान मानिए। महान तो महाराणा प्रताप ही थे।
गैर-जरूरी विवाद
राजस्थान में चल रहे ताजा विवाद पर शिक्षाविद चरणजीत सिंह कहते हैं कि बेहतर होता कि मंत्री जी राजस्थान के स्कूल-कालेजों में अध्यापन के स्तर को सुधारते। वे तो बिना बात के विवाद में अपने को फंसा रहे है।
स्त्रोत : वन इंडिया