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भारत में लगने लगा है डर, वापस लौटने को मजबूर हो गई जर्मनी की महिला

पौष शुक्ल पक्ष २/३, कलियुग वर्ष ५११५

[प्रियंका देशपांडे], पुणे। दिल्ली हो या मुंबई, दिसंबर 2012 के बाद से सब बदल गया। स्थानीय निवासी ही नहीं विदेशी महिलाएं भी खुद को यहां सुरक्षित महसूस नहीं करतीं। पहले तो दूसरों के साथ हुए दुष्कर्म की कहानी सुनती हैं फिर खुद ऐसी घटनाओं का शिकार बन जाती हैं। सोचें कि हमारा देश इन महिलाओं को कैसी यादें दे रहा है।

पुणे में रह रही जर्मनी की एक महिला अब वापस अपने देश लौट रही है। ऐसी घटना हुई कि उसे भारत में डर लगने लगा। नये साल के मौके पर 25 वर्षीय विदेशी महिला ने अपने सहकर्मी विजय (बदला हुआ नाम) और उसकी पत्‍‌नी तथा एक अन्य महिला सहकर्मी के साथ एनआईबीएम रोड़ पर स्थित पॉश क्लब में जाने का फैसला किया। करीब सात 10 बजे कार पार्किंग से क्लब की ओर जाते वक्त तीन बदमाशों ने महिलाओं पर ताने कसने और किस्स करने की कोशिश की। जब विजय ने उन्हें रोकना चाहा तो उन बदमाशों से उसे पिटना शुरू कर दिया। तीनों महिलाओं ने मदद के लिए शोर मचाना लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया, ना ही किसी ने पुलिस को रिपोर्ट की।

वहां से दोस्तों ने भागने की कोशिश की तो बदमाशों ने विजय को पकड़ लिया। महिलाओं ने खुद को संभाला और विजय की पत्‍‌नी ने पुलिस कंट्रोल रूम फोन किया। कॉल करने के आधे घंटे बाद पेट्रोलिंग बाइक पर पुलिस वहां पहुंची। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। विजय काफी जख्मी हो गया था। तीन में से एक बदमाश पकड़ा गया लेकिन दो भाग निकले।

परेशानियों का सिलसिला यहीं खत्म नहीं होती। कोंढवा पुलिस स्टेशन में पुलिसवालों ने विजय को एक लॉ बुक पकड़ा दी और पुछा कि किस धारा के तहत शिकायत दर्ज करानी है। विजय ने कहा, 'मैं इतना उझल गया था कि मैंने उनसे ही कहा कि जो आपको सही लगता है वो करें।' पुलिस ने बदमाशों के खिलाफ गैर-संज्ञय शिकायत दर्ज कर चेतावनी देकर छोड़ दिया।

विजय की पत्नी ने कहा, 'मैं नया साल मनाने के लिए बाहर नहीं जाना चाहती थी। लेकिन मेरे पति की जर्मन सहकर्मी भारत में नये साल का माहौल देखना चाहती थी, तो हमने उसे पॉश क्लब ले जाने का फैसला किया। जो भी हुआ उसके लिए मैं खुद के लिए और उसके लिए काफी शर्मिदा हूं।' (मिड डे)

स्त्रोत : दैनिक जागरण

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