पौष शुक्ल पक्ष २/३, कलियुग वर्ष ५११५
पुणे – सहकार एवं संसदीय कार्यमंत्री हर्षवर्धन पाटिलने जादूटोनाविरोधी पुरोहितोंकी कृति समितिको यह आश्वासन दिया कि यदि कोई जादूटोनाविरोधी कानूनका अनुचित उपयोग कर रहा है अथवा कानूनके नामपर किसीपर अन्याय हो रहा है, साथ ही कानूनमें कुछ त्रुटियां पाई गर्इं, तो निश्चित ही इस कानूनमें परिवर्तन किया जाएगा, संबंधित अधिकारियोंको ऐसे अधिकार भी दिए गए हैं । (यदि कानून इतना अनुचित एवं त्रुटिपूर्ण है, तो ऐसे कानूनकी आवश्यकता ही क्या ? उसकी अपेक्षा शासन वर्तमानके सक्षम भारतीय दंडविधान एवं अन्य कानूनकी प्रभावी कार्यान्विति करनेका प्रयास क्यों नहीं करता ? अथवा जादूटोना कानूनका अनुचित उपयोग कर क्या शासन कुछ लोगोंकी बलि लेनेकी प्रतीक्षा कर रहा है ? जिसके कारण शासन कानूनके विषयमें निश्चित निष्कर्षतक आएगा ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
१. जादूटोनाविरोधी कानूनके संदर्भमें आपत्ति एवं सूचना प्रस्तुत करनेके लिए ३१ दिसंबर २०१३ को जादूटोनाविरोधी पुरोहितोंकी कृति समितिद्वारा वेदभवनमें पुरोहित, वारकरी एवं वास्तुशास्त्रज्ञोंकी सभाका आयोजन किया गया था ।
२. इस सभामें वक्तव्य देते समय डॉ. धुंडीराज पाठकने बताया कि हम गांवगांव जाकर इस कानूनके संदर्भमें प्रबोधन करेंगे । उन्होंने पॉवर पॉर्इंट प्रेजेंटेशनके माध्यमसे इस कानूनके संदर्भमें मार्गदर्शन किया । आगे उन्होंने बताया कि यह कानून ६० प्रतिशत सौम्य है, किंतु ४० प्रतिशत कष्टदायी है । सनातनके साधक सच्चे भक्त हैं । कानूनके विरोधमें आरंभ उनकी यह लडाई प्रशंसनीय है । इस अवसरपर राज्यके सर्व वारकरी, पुरोहितोंका संगठन करने हेतु भारतीय संस्कृति सुरक्षा मंच नामक संगठनकी स्थापना की गई ।
३. इस अवसरपर श्री. मोरेश्वर घैसास गुरुजीने, हर्षवर्धन पाटिलके पास कानूनमें क्या क्या परिवर्तन करना आवश्यक है, इस विषयका निवेदन प्रस्तुत किया । पुरोहितोंद्वारा कानूनके संदर्भमें दी गई टिप्पणीकी ओर ध्यान देकर यह कानून सम्मत किया, इसलिए वेदभवनके संस्थापक-अध्यक्ष मोरेश्वर घैसास गुरुजीके हाथों पुणेरी पगडी पहनाकर सहकारमंत्री हर्षवर्धन पाटिलका सम्मान किया गया । इस कार्यक्रमके लिए श्री. माधव केळकर तथा श्री. नितिन जोशी उपस्थित थे ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात