पौष शुक्ल पक्ष २/३, कलियुग वर्ष ५११५
सांगली – यहांके लक्ष्मीनगर-अजिंक्यनगर परिसरमें २८ दिसंबरको एक बस भरकर ईसाई धर्मप्रसारक आए । बससे उतरते ही उन्होंने तत्काल कुछ घरोंमें जाकर येशूकी स्तुति करनेवाले गाने गाना आरंभ किया । यह बात वहां आए हिंदवी स्वराज्य युवा मंडलके धर्माभिमानी युवकोंकी समझमें आई । उन्होंने तत्काल सारे धर्मप्रसारकोंको फटकारा । उस समय परिसरमें रहनेवाली हिंदु महिलाएं तथा युवतियां भी वहां उपस्थित हुर्इं । इन सबने ईसाई धर्मप्रसारकोंपर प्रश्नोंकी भरमार की तथा वहांसे निकल जानेको कहा । हिंदु धर्माभिमानियोंके बढते विरोधके कारण ईसाई धर्मप्रसारकोंको वहांसे भागना पडा । (झूठी बातें बताकर तथा धोखा देकर हिंदुओंका धर्मांतर करनेका प्रयास करनेवाले ईसाई धर्मप्रसारकोंकी योजना व्यर्थ करनेवाले हिंदवी स्वराज्य युवा मंडलके धर्माभिमानी युवक तथा वहांकी हिंदु महिलाओं एवं युवतियोंका अभिनंदन ! प्रत्येक व्यक्तिको इसी प्रकार धर्मांतरकी योजना निरस्त करनी चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
इस विषयमें हिंदवी स्वराज्य युवा मंडलके कार्यकर्ताओंने बताया कि उस परिसरमें निर्धन हिंदुओंकी बस्ती अधिक है । इसका अपलाभ लेकर ईसाई धर्मप्रसारक उन्हें विविध प्रकारका लालच दिखाते हैं, तथा येशूके विषयमें झूठी बातें भी बताते हैं । क्या इन सबको प्रचार करनेकी अनुमति है ?, ऐसा पूछनेपर उनके पास कोई भी अनुमतिपत्र नहीं था । यहां ऐसे प्रकरण बढ रहे हैं, तथा एक वर्ष पूर्व भी हमने ईसाई धर्मप्रसारकोंको इसी प्रकार भगाया था । (कोई भी अनुमतिपत्र न होते हुए भी ईसाई धर्मप्रसारक खुलकर हिंदुओंको धोखा देकर धर्मप्रसार करते है, किंतु अनुमति होते हुए भी पुलिस प्रशासन तथा शासनकर्ता हिंदू जनजागृति समितिद्वारा आयोजित विविध उपक्रमोंमें बाधाएं उत्पन्न करते हैं ! यही कांग्रेसके निधर्मी राज्यका न्याय है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात