पौष शुक्ल पक्ष ४, कलियुग वर्ष ५११५
केवल सस्ती लोकप्रियता हेतु नववर्षका स्वागत स्मशानभूमिमें करनेवाले अंनिसका वैचारिक दिवालियापन ही सामने आता है ।
ठाणे – यहांके विक्रमगढ तहसीलमें अंनिसने ३१ दिसंबरकी रातको छात्रोंके साथ माण स्मशानभूमिमें नववर्षका स्वागत किया। भूतोंके विषयमें लोगोंके मनसे डर एवं अंधश्रद्धा दूर करने हेतु यह उपक्रम कार्यान्वित करनेकी बात अंनिसके कार्यकर्ताओंने बताई । (भूत नहीं होते, ऐसा अपप्रचार करनेवाली अंनिस क्या यह जानती है कि भूतबाधाका बंदोबस्त करने हेतु वेटिकन स्थित विश्वविद्यालयमें ईसाई पादरियोंको प्रशिक्षण दिया जा रहा है ? भूतोंके संदर्भमें संशोधन करनेवाले ४९ कोटि ३० लाखसे अधिक संकेतस्थलोंके कार्यरत होते हुए, ‘भूत नहीं है’, ऐसा कहनेवाली अंनिसको क्या ‘विज्ञाननिष्ठ’ कह सकते हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात